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23 नवंबर को अजित पवार बीजेपी के खेमे में गए और शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के लिए खलनायक बन गए. शरद पवार ने अपना पूरा राजनैतिक अनुभव लगा अजित पवार की बगावत खत्म कर दी और अजित को अपने खेमे में वापस ले आए. शरद पवार ने पार्टी और परिवार दोनों को बचालिया. उम्मीद थी कि अजित पवार अलग थलग पड़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अजित पवार का गर्मजोशी से पार्टी में स्वागत हुआ. शरद पवार के भतीजे के नाते अजित पवार का पहले से पार्टी में दबदबा है