सपा का महाभारत: मजबूत अखिलेश ने कमजोर मुलायम के सामने रखी तीन शर्तें, शिवपाल हटाओ, मुझे बनाओ पार्टी अध्यक्ष
समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद शक्ति प्रदर्शन में विजयी रहने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब अपनी शर्तों पर मुलायम सिंह यादव के समक्ष सुलह का प्रस्ताव रखा है।
New Delhi:
समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद शक्ति प्रदर्शन में विजयी रहने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब अपनी शर्तों पर मुलायम सिंह यादव के समक्ष सुलह का प्रस्ताव रखा है। अखिलेश ने अपनी और चाचा रामगोपाल यादव को पार्टी में बहाल किए जाने के अलावा तीन अन्य शर्तें रखी हैं।
पार्टी से निकाले जाने के बाद अखिलेश विधायकों की बैठक बुलाई थी। बैठक में 190 से अधिक विधायकों के शामिल होने के बाद अखिलेश ने पिता मुलायम सिंह से मुलाकात की है।
सूत्रों के मुताबिक अखिलेश ने उनके समर्थन में उतरे 200 से अधिक विधायकों की सूची मुलायम को सौंपी है। अखिलेश ने साफ कर दिया है उन्हें पार्टी के 90 फीसदी विधायकों का समर्थन हासिल है। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को 230 सीटें मिली थीं।
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अखिलेश ने मुलायम सिंह के सामने सुलह के लिए तीन अहम शर्तें रखी हैं। सूत्रों के मुताबिक अखिलेश ने मुलायम सिंह से शिवपाल यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से हटाए जाने की मांग की है।
अखिलेश चाहते हैं कि पार्टी में पद के बंटवारे को लेकर सितंबर से पहले की स्थिति बहाल हो। सितंबर से पहले अखिलेश समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे लेकिन अब वह खुद को पार्टी का नेशनल स्टेट प्रेसिडेंट बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।
यहां बताना लाजमी है कि समाजवादी पार्टी का अस्तित्व केवल उत्तर प्रदेश में ही है। सपा की सारी राजनीतिक ताकत का स्रोत उत्तर प्रदेश ही है। सपा में टिकटों के बंटवारे का अधिकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के पास होता है और इसे आखिरी मंजूरी राष्ट्रीय अध्यक्ष देते हैं। मुलायम सिंह यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सपा परिवार में चल रहे गृहयुद्ध की जड़ टिकट बंटवारा ही है, जिसे लेकर अखिलेश बगावत पर उतर आए।
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सूत्रों के मुताबिक अखिलेश ने पिता मुलायम के सामने पार्टी से अमर सिंह को हटाए जाने की शर्त रखी है। अमर सिंह मुलायम सिंह के करीबी हैं लेकिन वह अखिलेश की आंख की किरकिरी रहे हैं।
मौजूदा विवाद में अमर सिंह ने मुलायम का साथ देते हुए अखिलेश को ताना मारते हुए पुत्र धर्म की याद दिलाई थी।
पार्टी से 6 साल के लिए निकाले जाने के बाद अखिलेश ने विधायकों की बैठक बुलाई थी, जिसमें 190 से अधिक विधायकों के अलावा 40 एमएलसी भी शामिल हुए। वहीं मुलायम सिंह की बैठक में 20 से भी कम विधायक शामिल हुए।
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शक्ति प्रदर्शन में सफल रहने के बाद अखिलेश सीधे मुलायम सिंह से मिलने पहुंचे। विधायकों की बैठक में अखिलेश ने भावुक होते हुए कहा कि मैं अभी भी मुलायम सिंह का बेटा हूं।
पार्टी से निकाले जाने के बाद अखिलेश और मुलायम खेमे ने शक्ति प्रदर्शन के लिए विधायकों की बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टी के अधिकांश विधायक मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह यादव का साथ छोड़ते हुए अखिलेश के पक्ष में जा खड़े हुए।
अखिलेश की मांग सुने जाने के बाद मुलायम सिंह ने अपने घर पर शिवपाल यादव को भी बुलाया है। विधायकों की बैठक के बाद पार्टी टूटने के कयासों के बीच अखिलेश ने अपनी तरफ से सुलह का प्रस्ताव रखा है।
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