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उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत नए आवास में हुए शिफ्ट, राजनीतिक गलियारे में बंगले को बताया जाता है 'मनहूस'

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपने कार्यकाल के दौरान बीजापुर गेस्ट हाउस में रहा करते थे।

Updated on: 30 Mar 2017, 08:29 AM

highlights

  • उत्तराखंड बनने के पहले यह रेस्ट हाउस हुआ करता था
  • इस बंगले में शिफ्ट होने से पहले ही खंडूरी को हटना पड़ा
  • रमेश पोखरियाल निशंक भी अपने सीएम का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए
  • बाद में बीसी खुडूरी फिर से सीएम बने और इस आवास में कुछ ही दिन रह पाये
  • विजय बहुगुणा भी कैंट रोड के इस बंगले में 5 साल पूरे नहीं कर पाये

नई दिल्ली:

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने बंगले में जाने की वजह से सुर्खियों में हैं। जानकारी मिली है कि सीएम जिस बंगले में रहने गए हैं राजनीतिक रूप से वो मनहूस है। क्योंकि इसमें रहने वाला कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।

बता दें कि मुख्यमंत्री रहते रमेश पोखरियाल निशंक (मई 2011 से सितंबर 2011), बीसी खंडूरी (सिंतबर 2011 से मार्च 2012) और विजय बहुगुणा (मार्च 2012 से जनवरी 2014) इस घर में रह चुके हैं। लेकिन तीनों ही अपनी कुर्सी संभाल कर नहीं रख सके थे।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपने कार्यकाल के दौरान आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास के बजाय राज्य सरकार के एक गेस्ट हाउस में रहते थे। इससे बंगले के मनहूस होने की अफवाहों को मजबूती मिल गई थी।

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त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ही साफ कर दिया था कि वह मनहूस कहे जाने वाले आधिकारिक बंगले में ही रहेंगे। 

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक एक मंत्री ने बताया, 'मकान में कोई वास्तु दोष नहीं है इसलिए हमें किसी जानकार से सलाह लेने की जरूर नहीं पड़ी। हमने गृह प्रवेश से सम्बन्धित सामान्य पूजा-पाठ किया। मुख्यमंत्री सादगी से रहना चाहते हैं इसलिए घर में कोई महंगा फर्निचर नहीं होगा। उनका परिवार 60 में से सिर्फ 5 कमरों का इस्तेमाल करेगा। सीएम ने बंगले के स्वीमिंग पुल को भी बंद करने का आदेश दिया है ताकि पानी की बर्बादी न हो, खासकर जब राज्य पानी की कमी से जूझ रहा है।'

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले को पारंपरिक पहाड़ी स्टाइल में डिजाइन किया गया है। यह साल 2010 में तकरीबन 16 करोड़ रुपये की लागत से बना था। बंगला 10 एकड़ जमीन में फैला हुआ है लेकि मनहूसियत की अफवाहों की वजह से यह कई सालों तक खाली रहा।