उत्‍तराखंड: स्‍कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई अनिवार्य करने पर बोले मौलाना सैयद काब रशीदी- यह 'राइट टू-च्‍वाइस' होना चाहिए

उत्‍तराखंड: स्‍कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई अनिवार्य करने पर बोले मौलाना सैयद काब रशीदी- यह 'राइट टू-च्‍वाइस' होना चाहिए

उत्‍तराखंड: स्‍कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई अनिवार्य करने पर बोले मौलाना सैयद काब रशीदी- यह 'राइट टू-च्‍वाइस' होना चाहिए

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IANS
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उत्‍तराखंड: स्‍कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई अनिवार्य करने पर बोले मौलाना सैयद काब रशीदी- यह 'राइट टू-च्‍वाइस' होना चाहिए

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुरादाबाद, 16 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ाई जाएगी, पुष्कर सिंह धामी सरकार की तरफ से यह फैसला लिया गया है। इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के कानूनी सलाहकार मौलाना सैयद काब रशीदी ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्‍होंने कहा कि यह तो राइट टू-च्‍वाइस होना चाहिए।

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मौलाना सैयद काब रशीदी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता को स्‍कूलों में अनिवार्य करना राइट टू-च्‍वाइस होनी चाहिए। जो जिस धर्म की धार्मिक किताबों को पढ़ने में इच्छुक है, अगर वह पढ़ता है तो इस पर किसी को भी कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, सबके लिए अनिवार्य कर देना संविधान के आर्टिकल-25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के खिलाफ होगा। देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद ने भारत में शिक्षा नीति को धर्मनिरपेक्ष रखा था, उन्होंने हर बच्चे को यह अधिकार दिया था कि अपने धर्म के अनुसार शिक्षा ले सकता है। मुझे उत्तराखंड सरकार के भगवद् गीता पढ़ाने के दिए गए आदेश पर आपत्ति नहीं है, अगर यह आदेश सभी धर्म के बच्चों के लिए अनिवार्य होगा तो कहीं ना कहीं यह एक बड़ा सवालिया निशान है।

ऑपरेशन कालनेमि के तहत बड़ी संख्या में पकड़े जा रहे फर्जी बाबा मामले में उन्‍होंने कहा कि फर्जी बाबाओं का इतिहास भारत में बहुत बड़ा रहा है। इस देश में पहले से ही बाबा राम रहीम, आसाराम जैसे बहुत सारे फर्जी बाबाओं की हर धर्म में भीड़ है। उत्तराखंड सरकार के इस कदम का स्वागत करता हूं और समर्थन करता हूं।

तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आंध्र प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए अधिक समय मांगा है। टीडीपी का कहना है कि इसे चुनाव के छह महीने के भीतर नहीं कराया जाना चाहिए। इस पर उन्‍होंने कहा कि जमीयत शुरू से एसआईआर का विरोध कर रही है। बिहार में चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया दस्तावेज के माध्यम से वोट बंदी का काम कर रही है। टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू को भी पता चल रहा है कि उनका भविष्य अब सुरक्षित नहीं है। ओबीसी, एससी, एसटी, आदिवासी, पिछड़े और मुसलमानों को अगर वोट से वंचित किया जाएगा तो यह देश के संविधान के खिलाफ होगा और इसको स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है।

बिहार में कानून व्‍यवस्‍था को लेकर उन्‍होंने कहा कि यह राज्य सरकार की पूरी तरह से नाकामी को दर्शाता है। लोगों को खुलेआम मारा जा रहा है और हत्यारे बेखौफ घूम रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार जिम्‍मेदार है और सरकार को इसका जवाब जनता को देना होगा।

--आईएएनएस

एएसएच/जीकेटी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
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