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इसमें कोई शक नहीं कि सपा की लड़ाई अब अखिलेश बनाम मुलायम हो गई है

पार्टी में चल रही लड़ाई को लेकर अखिलेश यादव ने पहले भी कहा था कि सभी समस्याओं की जड़ बाहरी लोग हैं।

Updated on: 23 Oct 2016, 05:03 PM

नई दिल्ली:

मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव के फैसले के बाद पलटवार करते हुए रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया है। नई पार्टी बनाने की अटकलों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी और सरकार पर अपने नियंत्रण को मजबूत करते हुए शिवपाल यादव समेत 4 मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था जिसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए मुलायम सिंह यादव ने अब रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया है।

मुख्यमंत्री के वफादार माने जाने वाले मैनपुरी के विधायक राजू यादव ने कहा, 'मुख्यमंत्री ने विधायकों की बैठक में साफ कर दिया कि अमर सिंह के करीबी नेताओं के लिए मंत्रिमंडल में कोई जगह नहीं है।'

बर्खास्त होने के बाद शिवपाल सिंह ने भी रामगोपाल यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि सीबीआई से बचने के लिए कुछ लोग बीजेपी से मिलकर पार्टी को तोड़ने की साजिश में लगे हुए हैं और अखिलेश इसे समझ नहीं पा रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'हमारे परिवार के बड़े नेता सीबीआई से बचने के लिए तीन बार बीजेपी से मिल चुके हैं और वह समाजवादी पार्टी को कमजोर कर रहे हैं।' हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने नेताजी को पार्टी से ऊपर रखते हुए कहा, 'अब चुनाव में चलने का समय है और हम 2017 का चुनाव नेताजी के नेतृत्व में लड़ेगे।' 

सपा ने रामगोपाल यादव को पार्टी और सभी पदों से 6 साल के लिए बर्खास्त कर दिया है। शिवपाल ने कहा, 'रामगोपाल ने अपनी सोच और समझ का इस्तेमाल केवल षडयंत्र में किया है।'

पार्टी में चल रही लड़ाई को लेकर अखिलेश यादव ने पहले भी कहा था कि सभी समस्याओं की जड़ बाहरी लोग हैं। अखिलेश के इस बयान के बाद शिवपाल सिंह ने अमर सिंह का खुलकर बचाव करते हुए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था।

मुलायम सिंह ने पिछले महीने ही अमर सिंह को पार्टी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया था। शिवपाल यादव समेत अन्य पांच मंत्रियों को बर्खास्त किए जाने के बाद शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह के साथ बैठक की। मुलायम सिंह ने पूरे मामले के लिए रामगोपाल यादव को जिम्मेदार मानते हुए उनसे घर पर मिलने से इनकार कर दिया है।

अखिलेश यादव की विधायकों के साथ होने वाली बैठक से पहले रामगोपाल यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश यादव के समर्थन की अपील की थी। रामगोपाल ने अपनी चिट्ठी में मुलायम और शिवपाल यादव पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा था, 'अखिलेश का विरोध करने वाले विधानसभा का मुंह नहीं देख पाएंगे, जहां अखिलेश, वहां विजय।

उन्होंने लिखा, 'रथयात्रा विरोधियों के गले की फांस है, इस फांस को और मजबूत करना है।' रामगोपाल यादव ने कहा, 'हम चाहते हैं कि अखिलेश के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार बने। वे चाहते हैं कि हर हालत में अखिलेश यादव हारें। हमारी सोच पॉजिटिव है और उनकी निगेटिव।'

इसके बाद मुख्यमंत्री की बैठक हुई और फिर शिवपाल यादव और उनके 4 समर्थक मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी के बाद दिए बयान  में अखिलेश ने साफ कर दिया कि वहीं नेताजी के असली उत्तराधिकारी हैं। उन्होंने साफ कर दिया कि अब वह अपने तरीके से सरकार चलाएंगे।  

विधायकों की बैठक के दौरान अखिलेश कई बार भावुक हुए। मुलायम सिंह के प्रति आस्था जताते हुए और पार्टी तोड़ने की अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, 'मुलायम सिंह मेरे नेता हैं और हमेशा रहेंगे। मैं पार्टी में ही रहूंगा और पार्टी को तोड़ने की बात गलत है।'

अखिलेश ने कहा, 'नेताजी के जन्मदिन के पहले एक्सप्रेस वे का तोहफा दूंगा।' उन्होंने कहा, 'पार्टी और नेताजी के खिलाफ साजिश करने वालों पर एक्शन करूंगा।' रथयात्रा और रजत जयंती समारोह को लेकर चल रही उहापोह को दूर करते हुए अखिलेश ने कहा, 'रथयात्रा भी करूंगा और जयंती समारोह में भी जाऊंगा।' हालांकि कुछ दिनों पहले ही अखिलेश ने मुलायम सिंह को पत्र लिखकर पार्टी के रजत जयंती समारोह में आने से मना कर दिया था। 

शिवपाल यादव को कैबिनेट से बर्खास्त किए जाने के बाद सीएम ने सरकार पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। अखिलेश ने प्रमुख सचिव अनीता सिंह को आदेश दिया है, 'मेरे कहे बगैर किसी भी काग़ज़ पर हस्ताक्षर नहीं होगा।'

वहीं मुख्य सचिव राहुल भटनागर, सीएम के प्रमुख सचिव अनीता सिंह, यूपी के डीजीपी जावेद अहमद सभी को निर्देश जारी किया गया है कि उनकी सहमति के बिना किसी निर्देश को आदेश नहीं माना जाए।

अभी तक सरकार के कई फैसले नेताजी के आदेश पर होते थे लेकिन अब अखिलेश ने यह साफ कर दिया है कि सरकार में कोई भी फैसला उनकी मर्जी से नहीं होगा। अखिलेश के इस फैसले के बाद गुस्साए मुलायम सिंह यादव ने सीएम अखिलेश यादव को हद में रहने की चेतावनी देते हुए कहा, 'अगर मैं सीएम बना सकता हूं, तो हटाने की भी क्षमता रखता हूं। मैं अभी जिंदा हूं और सरकार क्या देश चला सकता हूं।' 

मुलायम सिंह ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए पहली बार समाजवादी के बैठक में डिम्पल और अर्पणा यादव को बुलाया है। वहीं रामगोपाल यादव, मदन चौहान और अशोक चौहान से मिलने से इनकार कर दिया।  

अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। अपर्णा के 2017 में लखनऊ कैंट विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना है। अखिलेश के मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी की घोषणा किए जाने के बाद अपर्णा का मुलायम सिंह की बैठक में शामिल होना इस बात की तऱफ इशारा कर रहा है कि कि उन्हें सपा परिवार की राजनीतिक विरासत में हिस्सेदारी मिल सकती है।

अपर्णा गाहे बगाहे पीएम मोदी की ताऱीफ करती रहती हैं। 2015 में उन्होंने बीजेपी के फायरब्रांड सांसद योगी आदित्यनाथ से मुलाकात का कार्यक्रम तय कर लिया था लेकिन बाद में यह मुलाकात नहीं हो पाई।

अखिलेश के फैसले के बाद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव सोमवार को पार्टी विधायकों, मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों के साथ महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। माना जा रहा है कि मुलायम सिंह इस बैठक से पहले कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।  इस बीच मुलायम के आवास के बाहर भारी फ़ोर्स की तैनाती की गई है।