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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
बहराइच, 26 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के बहराइच शहर में मूर्तिकार चांदबाबू हिन्दू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल कायम कर रहे हैं। मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चांदबाबू न केवल नमाज पढ़ते और रोजा रखते हैं, बल्कि उसी श्रद्धा और सम्मान के साथ भगवान गणेश की पूजा-अर्चना भी करते हैं।
गणेश उत्सव की शुरुआत से ठीक पहले चांदबाबू अपनी कला और आस्था के संगम से शहर में एकता का संदेश फैला रहे हैं।
वजीरबाग मोहल्ले में रहने वाले चांदबाबू पिछले 15 वर्षों से भगवान गणेश, मां दुर्गा और भगवान विष्णु की मूर्तियां बना रहे हैं। खास बात यह है कि वह मस्जिद के ठीक बाहर उसके चबूतरे पर बैठकर इन मूर्तियों को अंतिम रूप देते हैं। मस्जिद के बाहर मूर्तियां बनाते समय आसपास के लोग उनके काम को निहारते हैं और उनकी कला की सराहना करते हैं।
उनकी बनाई गणेश प्रतिमाएं मंदिरों और पंडालों में स्थापित की जाती हैं और वह स्वयं विधि-विधान के साथ पूजा में शामिल होते हैं।
उनकी बनाई मूर्तियां न केवल बहराइच, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी स्थापित की जाती हैं। स्थानीय लोग चांदबाबू की इस अनूठी भक्ति और कला की तारीफ करते नहीं थकते। चांदबाबू का यह प्रयास बहराइच में धार्मिक सहिष्णुता और एकता का प्रतीक बन गया है।
गणेश विसर्जन के जुलूस में भी चांदबाबू पूरी आस्था के साथ भाग लेते हैं और बाप्पा की मूर्ति को श्रद्धापूर्वक विसर्जित करते हैं।
चांदबाबू ने बताया, “मैं मुसलमान हूं, लेकिन मेरी आस्था भगवान गणेश में अटूट है। मेरे परिवार और आसपास के लोगों ने कभी इसका विरोध नहीं किया। सभी मेरे काम और श्रद्धा का सम्मान करते हैं।”
गणेश उत्सव के मौके पर चांदबाबू की ओर से मूर्तियों को अंतिम रूप देने का काम जोरों पर है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह केवल मूर्ति बनाना नहीं, बल्कि अपनी आस्था और कला को व्यक्त करने का माध्यम है। हम सभी लोगों से भाईचारा की अपील करते हैं।”
--आईएएनएस
एकेएस/एबीएम
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