जेब में नहीं एक भी रुपया फिर भी हो जाएगा पेमेंट, कमाल का है UPI का ये फीचर, देखें प्रोसेस

डिजिटल युग में सबकुछ ऑनलाइन होने लगा है. खास तौर पर पेमेंट यानी भुगतान की सुविधा भी आपके टिप्स पर है. जेब में पैसे रखने की जरूरत नहीं. वहीं यूपीआई आपको एक और बड़ी सुविधा दे रहा है. आइए जातने हैं विस्तार से.

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Dheeraj Sharma
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What is UPI Circle Feature How it is Works

UPI Payment: भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली दिन-ब-दिन सरल और सुलभ होती जा रही है.  खासकर यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ने जिस तरह से लेन-देन को आसान बनाया है, वह एक क्रांति से कम नहीं है.  लेकिन अब ये भुगतान प्रणाली ग्राहकों को और भी सुविधाएं दे रही है. क्या आपके खाते में एक भी रुपया नहीं है या फिर आपका बैंक खाता ही नहीं है और आपको कहीं पेमेंट करना जरूरी है तो घबराएं नहीं क्योंकि यूपीआई एक खास फीचर आपको ये सुविधा देता है. आइए जानते हैं यूपीआई के सर्किल फीचर के बारे में जो देता है जीरो मनी पर भी पेमेंट की सुविधा. 

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अब UPI Circle एक नया और उपयोगी फीचर बनकर सामने आया है.  इसका उद्देश्य है—उन लोगों को भी डिजिटल भुगतान की सुविधा देना, जिनके पास खुद का बैंक अकाउंट नहीं है, जैसे छोटे बच्चे, बुजुर्ग या गांव के निवासी, जिनकी तकनीकी पहुंच सीमित है. 

यूपीआई सर्कल क्या है?

- UPI Circle एक ऐसा सिस्टम है जिसमें दो तरह के यूजर्स होते हैं:

- प्राइमरी यूजर (Primary User) जिनका बैंक खाता यूपीआई से जुड़ा होता है और जिनके खाते से पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं.

- सेकेंडरी यूजर (Secondary User) इसमें वे लोग जो खुद का बैंक खाता न होने के बावजूद डिजिटल भुगतान कर सकते हैं. वे प्राइमरी यूजर के खाते से सीमित लेन-देन कर सकते हैं.

यह प्रणाली खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो तकनीकी रूप से बहुत सक्षम नहीं हैं या जिनकी अपनी बैंकिंग सुविधा नहीं है. यह माता-पिता, दादा-दादी, छोटे भाई-बहनों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए वरदान साबित हो सकती है.

कैसे काम करता है यूपीआई सर्किल?

यूपीआई सर्कल को एक्टिवेट करने की प्रक्रिया बेहद आसान है.  सबसे पहले प्राइमरी यूजर अपने किसी रिश्तेदार या मित्र को इनवाइट भेजता है.  सेकेंडरी यूजर उस इनवाइट को अपनी UPI ऐप के माध्यम से स्वीकार करता है.  इसके बाद इनवाइट स्वीकार होते ही दोनों यूजर्स एक डिजिटल सर्कल में जुड़ जाते हैं. 

प्राइमरी यूजर दो तरीकों से सेकेंडरी यूजर को भुगतान की अनुमति दे सकता है 

1.  फिक्स अमाउंट लिमिट- जिसमें सेकेंडरी यूजर एक तय सीमा तक खुद ही भुगतान कर सकता है, बिना किसी स्वीकृति के. 

2. पेमेंट रिक्वेस्ट सिस्टम - इसमें हर लेन-देन के लिए पहले सेकेंडरी यूजर को रिक्वेस्ट भेजनी होती है और प्राइमरी यूजर की स्वीकृति के बाद ही भुगतान पूरा होता है. 

पारदर्शिता और नियंत्रण

इस फीचर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि दोनों यूजर्स के पास भुगतान का पूरा रिकॉर्ड रहता है. ट्रांजैक्शन की जानकारी केवल प्राइमरी और सेकेंडरी यूजर को ही मिलती है. इससे गोपनीयता बनी रहती है और धोखाधड़ी की संभावना भी कम हो जाती है.

किसके लिए है सबसे ज्यादा फायदेमंद?

बच्चे- उन्हें जब जरूरत हो, अपने माता-पिता के खाते से पेमेंट कर सकते हैं.
बुजुर्ग- जिन्हें बैंक ऐप्स चलाना कठिन लगता है, वे आसानी से अपने बच्चों या परिजनों की मदद से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं. 
ग्रामीण- जहां बैंकिंग सुविधाएं सीमित हैं, वहां यह सुविधा डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है. 

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