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Tenants Benefits: देशभर में कई लोग काम की वजह से अपने घरों से दूर रहते हैं. अन्य शहरों में रहने की वजह से ज्यादातर लोगों को किराए का घर चाहिए होता है. लेकिन कई बार किराए का घर मिलना काफी मुश्किल हो जाता है और अगर मिल भी जाता है तो कई बार मकान मालिक उन्हें काफी परेशान करते हैं. लेकिन अब मोदी सरकार ने किराएदारों को हितों को ध्यान में रखते हुए नियमों में बड़ा बदलाव किया है. ऐसे में मकान मालिकों की मुश्किल बढ़ सकती है और किराएदारों की परेशान खत्म हो सकती है. आइए जानते हैं कि किराएदारों को ऐसे पांच कौन से अधिकार मिले हैं जो उन्हें किराए का मकान लेने में न सिर्फ मददगार साबित होंगे बल्कि उन्हें फायदा भी देंगे.
किराएदारों को मिले पांच बड़े अधिकार
किराएदारों के खिलाफ अब मकान मालिक की मनमर्जी नहीं चलेगी. क्योंकि सरकार ने किराएदारों को पांच अहम अधिकार दे दिए हैं. इन अधिकारों के इस्तेमाल से कोई भी मकान मालिक अब उन्हें परेशान नहीं कर सकता है.
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किराएदारों के ये हैं 5 अधिकार
- प्राइवेसी का अधिकार: कोई भी मकान मालिक किराएदार के न तो कमरे में और न ही मकान में बिना उसकी मर्जी के प्रवेश कर सकता है. प्रवेश के लिए किराएदार की मर्जी होना अनिवार्य है.
- नोटिस पीरियडः मकान ओनर किसी भी टैनेंट को घर से अचानक नहीं निकाल सकता है. इसके लिए उसे किराएदार के एक निश्चित नोटिस देना होगा. ये नोटिस कम से कम 15 दिन का होता है .
- किराए पर कंट्रोलः मकान मालिक अपनी मर्जी से किराया बढ़ा नहीं सकता है या फिर अपनी मर्जी का किराया वसूल नहीं सकता है. किराया बढ़ोतरी के लिए तीन महीने पहले नोटिस देना होता है. अगर किराएदार को मंजूर हो तभी किराए में बढ़ोतरी होती है.
- आधारभूत सुविधाः मकान मालिक को अपने किराए के मकान में बिजली, पानी, पार्किंग जैसी सुविधाएं देना आवश्यक है. ये किराएदार का अधिकार है.
- मैंटेनेंसः घर का मैंटेनेंस पूरी तरह मकान मालिक की जिम्मेदारी है. अगर में किसी भी तरह की टूट-फूट होती है औऱ इससे किराएदार को परेशानी होती है तो मकान मालिक को ये टूट-फूट तुरंत सुनिश्चित करनी होगी. इसके साथ ही इसके साथ ही सुरक्षा राशि यानी सिक्योरिटी मनी भी समय-समय पर जमा करना होगी.
किसने तय किए ये नियम
किराएदारों की हितों की रक्षा के लिए ये नियम केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम 1948 के तहत तय किए गए हैं. इसके मुताबिक हर प्रदेश का अपना किराया नियंत्रण अधिनियम होता है. इसके तहत किराए पर देने के नियमों को तय किया जाता है और इसी के नियम मान्य होते हैं. इसके साथ ही एक और अहम जानकारी है कि किराए का समझौता हमेशा लिखित में होना चाहिए. ऐसे में कोई भी विवाद बनता है तो इसकी आसानी से शिकायत की जा सके.
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