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मौजूदा दौर में नौकरी बदलना कोई असामान्य बात नहीं है. बेहतर अवसर, करियर ग्रोथ या कार्य परिस्थितियों के कारण लोग अक्सर एक वर्ष पूरा होने से पहले ही नई नौकरी की तलाश कर लेते हैं. पहले इसकी सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि ग्रेजुएटी का लाभ पाने के लिए कम से कम पांच साल की निरंतर सेवा अनिवार्य थी. लेकिन अब सरकार ने इस नियम में बड़ा परिवर्तन कर दिया है, जिससे लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी.
नए 4 लेबर कोड में ग्रेजुएटी का नियम बदला
देश में लागू नए चार श्रम कानूनों (Labour Codes) के तहत ग्रेजुएटी के नियमों में संशोधन किया गया है. नए प्रावधानों के अनुसार, ग्रेजुएटी पाने के लिए अब सिर्फ एक साल की नौकरी पूरी करना ही पर्याप्त है. यह उन कर्मचारियों के लिए बेहद फायदेमंद है जो छोटी अवधि तक काम करते हैं या लगातार नौकरी बदलते रहते हैं.
11 महीने काम + 30 दिन नोटिस: क्या एक साल माना जाएगा?
कई कर्मचारियों के मन में यह सवाल आता है कि अगर उन्होंने 11 महीने काम किया और फिर 30 दिन का नोटिस पीरियड सर्व किया, तो क्या यह अवधि मिलकर एक वर्ष पूरी हो जाएगी? इसका जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि नोटिस पीरियड को कंपनी किस प्रकार दर्ज करती है. नौकरी की अवधि (Tenure) हमेशा ज्वाइनिंग डेट से लेकर अंतिम कार्य दिवस तक गिनी जाती है.
यदि कंपनी नोटिस पीरियड को भी सक्रिय सेवा अवधि मानती है, तो आपकी कुल अवधि 12 महीने मानी जाएगी। ऐसे में आप ग्रेजुएटी पाने के योग्य हो सकते हैं. लेकिन अगर कंपनी नोटिस पीरियड को सिर्फ औपचारिकता (Formality) मानती है और उसे सेवा अवधि में शामिल नहीं करती, तो आपकी अवधि पूरी एक साल नहीं मानी जाएगी.
ऐसे में सबसे जरूरी है यह जांचना कि आपके लेटर ऑफ़ रिलीज या सर्विस रिकॉर्ड में अंतिम कार्य दिवस किस तारीख को दर्ज किया गया है.
नए नियम से कर्मचारियों को क्या लाभ?
नया प्रावधान छोटे अवधि के कर्मचारियों के लिए वरदान साबित होगा। पहले पांच साल की बाध्यता के कारण लाखों कर्मचारियों को ग्रेजुएटी नहीं मिल पाती थी, जबकि वे कंपनी की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके होते थे. लेकिन अब-
- एक साल की सेवा पर भी कर्मचारी ग्रेजुएटी प्राप्त कर सकेंगे,
- नौकरी बदलने वालों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी,
- और कंपनियों के लिए भी दीर्घकालिक एचआर नीति अधिक पारदर्शी होगी.
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