Property News: संपत्ति का बंटवारा कोई नई बात नहीं है. आमतौर पर किसी बुजुर्ग के जाने के बाद परिवार में संपत्ति का बंटवारा हो जाता है. कई बार तो परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के रहते ही प्रॉपर्टी डिस्प्यूट हो जाता है. लेकिन कई बार बिना वसीयत के ही बुजुर्ग का निधन हो जाता है और इसके बाद जो प्रॉपर्टी का बंटवारा होता है उसके लेकर घरों में विवाद की स्थित बन जाती है. भाई-भाई और भाई-बहन के बीच संपत्ति को लेकर विवाद हो सकता है. लेकिन क्या इस ससुर की संपत्ति बंटवार के वक्त जीजा के पास भी कोई अधिकार होता है. क्या दामाद अपने साले यानी पत्नी के भाई की मुश्किल बढ़ा सकता है. आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब.
संपत्ति बंटवारे में जीजा का क्या रोल
आमतौर पर जब परिवार में बंटवारा होता है खासतौर पर पत्नी के मायके में संपत्ति बंटवारा होता है तो बेटी होने के नाते उसका पिता की संपत्ति पर पूरा अधिकार होता है. ऐसे में अगर बेटी चाहे तो प्रॉपर्टी में उसे बराबर का हिस्सा दिया जाता है. लेकिन कई बार बेटियां अपना हिस्सा भाइयों के नाम ही कर देती हैं. ऐसी स्थिति में जीता का रोल महत्वपूर्ण होता है.
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क्योंकि उसकी रजामंदी होना चाहिए. अगर वह चाहे तो बेटी के जरिए संपत्ति पर पूरा हक ले सकता है. हालांकि इसके लिए उसकी पत्नी का राजी होना जरूरी है. लेकिन अगर जीजा चाहे तो पत्नी के जरिए अपने साले की मुश्किलें बढ़ा सकता है. ऐसे में जरूरी है कि जीजा के साथ संबंध मधुर रखे जाएं.
बंटवारे में हो सभी की रजामंदी
प्रॉपर्टी के बंटवारे के दौरान सभी लोगों के लिए रजामंद होना आवश्यक है. क्योंकि भाई-भाई या भाई बहन में एक भी रजामंद नहीं है तो बंटवारे में परेशानी आ सकती है. यही नहीं बेटी अगर शादीशुदा है और उसका पति भी रजामंद नहीं है तो भी परेशानी हो सकती है. हालांकि जीजा को ससुर की संपत्ति में दखल देने का अधिकार नहीं है. लेकिन बेटी के जरिए वह हस्तक्षेप कर सकता है. लिहाजा जीजा को पहले ही मना लिया जाए तो बेहतर होगा.
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