प्याज हर भारतीय के किचन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. पिछले कुछ समय से प्याज के भाव स्थिर हैं. कीमतों में बल्कि कटौती भी हुई है. 70 से 80 रुपये प्रति किलो बिकने वाली प्याज पिछले कुछ समय से 65 के आसपास पहुंच गई है. हालांकि, अब फिर से आशंका लग रही है कि प्याज की कीमतों में फिर से बढ़ोत्तरी हो सकती है. इसके कई कारण है. सबसे बड़ा कारण है- सरकार द्वारा प्याज के एक्सपोर्ट बैन को हटाना.
एक्सपोर्ट बैन हटाने का असर कीमतों पर कैसे पड़ेगा
प्याज के भाव को कंट्रोल में करने के लिए भारत सरकार ने कुछ माह पहले एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले का उद्देश्य था कि देश के बाजारों में प्याज की आपूर्ति बढ़ाई जा सके और प्याज की कीमतों को स्थिर किया जा सके. सरकार ने अब इस बैन को हटा दिया है. विदेशी बाजारों में इस वजह से प्याज की मांग बढ़ गई है. सरकार ने इसके अलावा, प्याज पर लगने वाले एक्सपोर्ट चार्जेस में भी बदलाव किए हैं. पहले जहां 40 प्रतिशत टैक्स लगता था, उसे सरकार ने अब घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया है. इससे किसानों को फायदा होगा क्योंकि विदेशी बाजारों में भी अब वे प्याज को बेच सकते हैं लेकिन इस वजह से भारत के बाजार में प्याज की कमी होने लगेगी और प्याज की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती है.
घरेलू बाजारों में आपूर्ति बढ़ाने की कोशिशें
हालांकि, सरकार ने प्याज की कीमतों को स्थिर रखने के लिए कई कदम उठाए हैं. हाल में दिल्ली के किशनगंज रेलवे स्टेशन पर 840 मेट्रिक टन प्याज की बड़ी खेप पहुंची है. प्याज दिल्ली की आजादपुर मंडी जाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के इस फैसले से बाजार में प्याज की कीमतें 35 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर सकती हैं.
प्याज की कीमतों का आम परिवारों और किसानों पर ऐसा पड़ता है असर
प्याज की कीमतें जब भी घटती बढ़ती हैं तो आम परिवारों और किसानों दोनों पर इसका असर पड़ता है. प्याज की कीमतें बढ़ने से जहां आम परिवार परेशान होता है तो वहीं किसान अपनी फसल के अच्छे दाम पाने पर खुश होता है. सरकार का उद्देश्य है कि वह दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखे.