मिलिए जमीन पर घुटने टेकने वाली महिला IAS से, इनकी इंट्रेस्टिंग कहानी से हो जाएंगे प्रेरित
मजदूर की बेटी अस्वथी की कहानी बेहद प्रेरणादायक और संघर्षों से भरा है. मूलरूप से केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली अस्वथी मजदूर की बेटी है. आईएएस बनना उसका सपना था.
नई दिल्ली:
भारत में IAS-IPS बनना युवाओं का सपना होता है. बड़ी संख्या में युवा साल संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा के लिए सालों साल खफा देते हैं, लेकिन बहुत से प्रतिभागियों को सफलता नहीं मिल पाती, फिर भी आखिरी दम तक युवा परीक्षा पास के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं. तब जाकर कुछ ही उम्मीदवार अपने सपनों को पंख दे पाते हैं. ऐसी ही एक कहानी है केरल की IAS अस्वथी. एस की, जिसने ख्वाबों को हकीकत में बदलकर यूपीएससी परीक्षा में परचम लहराया.मजदूर की बेटी अस्वथी की कहानी बेहद प्रेरणादायक और संघर्षों से भरा है. मूलरूप से केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली अस्वथी मजदूर की बेटी है. आईएएस बनना उसका सपना था.
तीन बार हो चुकी हैं असफल
शुरुआत के तीन प्रयास में वह प्रील्मिस भी पास नहीं कर पाई, लेकिन उसने अपना हौसला नहीं खोया बल्कि गलतियों से सुधार लेते हुए उसने 2020 में चौथे प्रयास में 481वीं रैंक हासिल कर ली. अस्वथी अभी मांड्या की डिप्टी कमिश्नर हैं. हाल ही एक इंटरव्यू में अस्वथी ने राज खोला कि रिजल्ट वाले दिन उसने सबसे पहले क्या किया.
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रिजल्ट आते ही जमीन पर घुटने टेक कर भगवान को धन्यवाद किया
अस्वथी ने बताया कि यूपीएससी परीक्षा के रिजल्ट आने वाले दिन वह सुबह से घर में टीवी पर नजर बनाए हुए थी. जैसे रिजल्ट आया कि वह जमीन पर घुटने टेक कर भगवान को धन्यवाद कहा. इसके बाद माता-पिता को प्रणाम किया. घर में सभी लोग बेहद खुश थे. रिजल्ट आने के बाद लगातार फोन की घंटियां बजती रहीं. बधाई और शुभकामनाओं की बाढ़ आ गई थीं. दो दिन तक फोन कॉल्स आते रहे. अस्वथी ने उन सभी का आभार जताया जिन्होंने संघर्ष के समय उनका हौसला और हिम्मत बढ़ाया.
..जब सफलता नहीं मिलती तो बहुत कुछ सुनना पड़ता है
अस्वथी ने बताया कि वो तीन साल उनके लिए बेहद कठिन थे. जब आप सिविल सर्विस की परीक्षा में बैठते और पास नहीं होते तो बहुत दुख होता. क्योंकि परीक्षा की तैयारी के लिए आप दिन रात लगे रहते हैं और उसमें आपको सफलता नहीं मिल पाती है. आपको दोबारा परीक्षा देने के लिए पूरे साल इंतजार करना पड़ता है. यहां तक कि दूसरी, तीसरी बार में भी आप जब कामयाब नहीं होते तो निराशा हावी होने लगती है. लोगों का नजरिया भी बदलने लगता है. बहुत से लोग ताने भी मारने लगते हैं. हां यह आप पर निर्भर करता है कि आप अंदर से कितना मजबूत हैं. अगर आप खुद को मजबूत रखते हैं तो असंभव को संभव बना सकते हैं. मैंने तीन बार की गलतियों से बहुत कुछ सीखा और चौथे प्रयास में सफलता हासिल कर ली.
अस्वथी ने जताया आभार
अस्वथी ने आगे बताया कि महिला अभ्यर्थी के लिए सिविल सर्विस की परीक्षा पास करना और भी कठिन होता. महिलाओं के सामने कई सारी चुनौतियां रहती हैं. महिला को कहा जाता है कि आरे सिविल सेवा महिलाओं के लिए नहीं है. महिला शादी क्यों नहीं कर लेती हैं. महिला प्राइवेट जॉब क्यों नहीं ढूंढ लेती हैं. कई ऐसे सवाल होते हैं जो महिलाओं के सामने रखे जाते हैं. खैर इनसे मेरे पर कोई फर्क नहीं पड़ा. मैं भगवान को धन्यवाद देती हूं जिन्होंने मेरी मेहनत को सफलता में बदली और माता-पिता और शुभचिंतकों का आभारी हूं जो हर मुश्किल वक्त में मेरे साथ रहे.
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