महीने से पहले ही सैलरी हो जाती है खत्म तो अपनाएं 50-30-20 का फॉर्मूला, रातोंरात लोगों को बना देता है अमीर
मंथली बजट बनाने के लिए आप 50-30-20 के नियम की मदद ले सकते हैं. क्योंकि यह आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग को एक सधी हुई दिशा तो देता ही है साथ ही फाइनेंशियल प्लानिंग को भी बेहतर बनाता है.
New Delhi:
क्या आप एक मिडिल क्लास या लोअर मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं या आप कोई नौकरीपेशा व्यक्ति हैं तो आप भी अपने व अपने बच्चों का भविष्य बनाने की उधेड़-बुन में लगे रहते होंगे. लेकिन इसके लिए आपको हर महीने वेतन का इंतजार करना पड़ता होगा. लेकिन अक्सर देखने में आया है कि अधिकांश लोगों की सैलरी 20 तारीख होते-होते खत्म होने लगती है. ऐसे में हम निवेश को लेकर सही से प्लानिंग नहीं कर पाते और समय हाथ से फिसलता रहता है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपने वेतन का बजट बनाएं और बजट के हिसाब से ही अपने खर्चों को मेनटेंन किया जाए. मंथली बजट बनाने के लिए आप 50-30-20 के नियम की मदद ले सकते हैं. क्योंकि यह आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग को एक सधी हुई दिशा तो देता ही है साथ ही फाइनेंशियल प्लानिंग को भी बेहतर बनाता है.
क्या है 50-30-20 का नियम?
एलिजाबेथ वॉरेन के अनुसार हमें अपने वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा बेहद जरूरी चीजों पर खर्च करना चाहिए. ये वो चीजें हैं, जिनके बिना आप काम नहीं चला सकते. इनमें रोजमर्रा के खर्च जैसे घर का राशन, मकान का किराया, बिजली-पानी और हाउस टैक्स के बिल, बच्चों की पढ़ाई, ईएमआई और स्वास्थ्य बीमा जैसी चीजें शामिल हैं.
30 का नियम
इस नियम के मुताबिक कमाई या वेतन का 30 प्रतिशत हिस्सा आप अपनी इच्छाओं या शौक के लिए खर्च कर सकते हैं. ये वो खर्च होते हैं, जिनको आप टाल नहीं सकते और इन खर्चों से आपको खुशी मिलती है. जैसे की फिल्म देखना, शॉपिंग करना, पार्लर जाना और किसी रेस्टोरेंट या होटल में खाना खाना आदि.
20 का नियम
तीसरे और आखिरी नियम के अनुसार हमें अपने वेतन का 20 प्रतिशत हिस्सा बचत के लिए रखना ही रखना चाहिए. कमाई के इस 20 प्रतिशत हिस्से को आप म्यूचुअल फंड या एसआईपी आदि में निवेश कर सकते हैं. यह पैसा आपके रिटायरमेंट की प्लानिंग, बच्चों की एजुकेशन, बच्चों की शादी या आपातकालीन जरूरत के समय काम आ सकता है.
उदाहरण के तौर पर समझें-
उदाहरण के तौर पर देखें तो मान लो कि आपका वेतन 50 हजार रुपए है. 50-30-20 के नियम के अनुसार आपको 50 प्रतिशत यानी 25 हजार रुपए घर की जरूरतों पर खर्च करना चाहिए. 30 प्रतिशत हिस्सा यानी 15 हजार रुपए से अपने शौक जैसे बाहर घूमना, फिल्म देखना व शॉपिंग करना आदि पूरे करने चाहिएं. जबकि शेष बची 20 प्रतिशत रकम यानी 10 हजार रुपए आपको भविष्य के लिए सेविंग करनी चाहिए. यह पैसा आप अपनी सुविधानुसार एफडी, एनपीएस, पीपीएफ, म्यूचुअल फंड व एसआईपी आदि में निवेश करना चाहिए.
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