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14 दिसंबर से बदल जाएगा पैसों के लेन-देन से जुड़ा ये नियम, मिलेगा करोड़ों ग्राहकों को फायदा

देश में 14 दिसंबर से पैसों के लेन-देन से जुड़ा नियम बदल जाएगा, जिससे करोड़ों ग्राहकों को फायदा मिलेगा.

Updated on: 06 Dec 2020, 03:43 PM

नई दिल्ली:

देश में 14 दिसंबर से पैसों के लेन-देन से जुड़ा नियम बदल जाएगा, जिससे करोड़ों ग्राहकों को फायदा मिलेगा. बड़े लेन-देन के लिए प्रयोग में आने वाली रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) प्रणाली 14 दिसंबर से 24 घंटे काम करने लगेगी. आरटीजीएस प्रणाली वर्तमान में हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़ सप्ताह के सभी कार्य दिवसों में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक काम करती है. शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए इस अनुकूल कदम की घोषणा की थी.

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आरटीजीएस प्रणाली की सातों दिन चौबीसों घंटे उपलब्धता पर रिजर्व बैंक का कहना है कि यह तय किया गया है कि आरटीजीएस प्रणाली को वर्ष के सभी दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध कराया जाए और इसकी शुरुआत 14 दिसंबर 2020 की मध्यरात्रि 00:30 बजे से हो जाएगी.

दरअसल, आरटीजीएस प्रणाली का इस्तेमाल अधिक मूल्य के लेनदेन के लिए किया जाता है. एक अन्य भुगतान प्रणाली एनईएफटी पहले ही चौबीसों घंटे उपलब्ध है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान को सुरक्षित तरीके से बढ़ाने के लिए यूपीआई अथवा कार्ड के जरिये बिना संपर्क के किये जा सकने वाले लेन-देन की सीमा को एक जनवरी 2021 से दो हजार रुपये से बढ़ाकर पांच हजार रुपये कर दिया जाएगा.

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रिजर्व बैंक ने कहा कि इससे संबंधित परिचालन के दिशानिर्देश अलग से जारी किए जाएंगे. उल्लेखनीय है कि देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक ने जुलाई 2019 से एनईएफटी व आरटीजीएस के माध्यम से किए जाने वाले लेन-देन पर शुल्क लेना बंद कर दिया. एनईएफटी का इस्तेमाल दो लाख रुपये तक के लेन-देन में किया जाता है, जबकि बड़े लेन-देन आरटीजीएस के माध्यम से किये जाते हैं. दास ने कहा कि लोगों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय साक्षरता केंद्र (सीएफएल) अभी 100 प्रखंडों में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से मार्च 2024 तक सभी प्रखंडों में ऐसे केंद्र बनाये जाएंगे.

शुक्रवार को केन्द्रीय बैंक ने संपर्क रहित लेनदेन की सीमा को बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया था. रिजर्व बैंक ने भुगतान प्रणाली का परिचालन करने वाली इकाइयों को दीर्घकालिक आधार पर लाइसेंस देने का भी फैसला किया था. कंपनियों से कहा गया है कि आवेदन को खारिज किये जाने अथवा लाइसेंस वापस लिये जाने के एक साल बाद फिर से लाइसेंसे के लिये आवेदन कर सकती हैं. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्वैमासिक समीक्षा बैठक के बाद वचुर्अल तरीके से किये गये अपने संबोधन में ये घोषणायें की थीं.