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2014 की पेंशन योजना को लेकर SC का बड़ा फैसला, 15,000 रुपए की सैलरी सीमा की रद्द

Supreme Court: देश के लाखों पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 की पेंशन संसोधन योजना (Pension Revision Scheme of 2014) को यथावत रखते हुए, 15000 रुपए मासिक सैलरी की बाध्यता को रद्द कर दिया है.

Updated on: 04 Nov 2022, 06:01 PM

highlights

  • कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना को भी किया बहाल
  • चीफ जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने सुनाया फैसला 

नई दिल्ली :

Supreme Court: देश के लाखों पेंशनभोगियों के लिए खुशखबरी है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 की पेंशन संशोधन योजना (Pension Revision Scheme of 2014) को यथावत रखते हुए, 15000 रुपए मासिक सैलरी की बाध्यता को रद्द कर दिया है. अब कर्मयारियों की पेंशन को बढ़ाया जा सकता है. आपको बता दें कि 2014 के संशोधन में बेसिक सैलरी (basic salary) और डीए मिलाकर मासिक वेतन (monthly salary) की सीमा अधिकतम 15000 रुपए रखी थी.  जिस पर गहन मंथन के बाद चीफ जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने रद्द करने का फैसला लिया है. शु्क्रवार को यह फैसला सार्वजनिक किया गया.

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दरअसल, संसोधन से पहले पेंशन वेतन की अगर बात करें तो सिर्फ 6500 रुपए प्रतिमाह रखा गया था. जिसे संसोधन के बाद बढ़ा दिया गया था. देश के चीफ जस्टिस  यू.यू. ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने मामले पर सुनवाई की. साथ ही फैसले को सार्वजनिक करते हुए बताया कि जिसने भी पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प को नहीं अपनाया है. उन्हे अधिकतम 6 माह में विकल्प को अपनाना होगा. यानि पात्र कर्मचारियों को बेंच ने एक और मौका दिया है. जिससे लाखों कर्मचारियों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है.

15,000 रुपये से अधिक के वेतन पर 1.16 प्रतिशत के योगदान की शर्त को भी बेंच ने नामंजूर कर दिया है. हालाकि अभी फैसले के इस पार्ट को अदालत की ओर से निलंबित कर दिया है. आपको बता दें कि ईपीएफओ के साथ राजस्थान और दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मामले को चुनौति दी थी. जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था.