आरटीआई (RTI) से खुली रेलवे (Railway) की इस सुविधा की पोल, लोग हो रहे परेशान

Reality of Railway : रेल मंत्रालय (Rail Ministry) की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, तीन सालों में बीते साल मेल-एक्सप्रेस (Mail Express) व पैसेंजर गाड़ियां (Passenger Trains) समय पालन के मामले में फिसड्डी रही हैं. वहीं वर्तमान साल में अब तक की स्थिति में कुछ सुधार आया है.

Reality of Railway : रेल मंत्रालय (Rail Ministry) की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, तीन सालों में बीते साल मेल-एक्सप्रेस (Mail Express) व पैसेंजर गाड़ियां (Passenger Trains) समय पालन के मामले में फिसड्डी रही हैं. वहीं वर्तमान साल में अब तक की स्थिति में कुछ सुधार आया है.

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Sunil Mishra
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आरटीआई (RTI) से खुली रेलवे (Railway) की इस सुविधा की पोल, लोग हो रहे परेशान

आरटीआई ने खोली रेलवे की पोल, जानें कितनी ट्रेनें रहीं लेट( Photo Credit : IANS)

भारतीय रेल (Indian Railway) का मूलमंत्र 'संरक्षा, सुरक्षा और समय पालन' है, मगर समय पालन के मामले में इस विभाग की हालत अच्छी नहीं है. बीते साल (2018-19) एक्सप्रेस-मेल गाड़ियों (Mail Expresss Trains) में से 31 फीसदी और पैसेंजर गाड़ियों (Passenger Trains ) में लगभग 33 प्रतिशत गाड़ियां अपने तय समय पर नहीं चलीं. यह खुलासा एक आरटीआई आवेदन (RTI Application) के जरिए हुआ है. रेल मंत्रालय (Rail Ministry) की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, तीन सालों में बीते साल मेल-एक्सप्रेस व पैसेंजर गाड़ियां समय पालन के मामले में फिसड्डी रही हैं. वहीं वर्तमान साल में अब तक की स्थिति में कुछ सुधार आया है.

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मध्य प्रदेश ( ) के नीमच जिले के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रेल के समय पालन के संदर्भ में रेल मंत्रालय से ब्यौरा मांगा था. मंत्रालय की तरफ से उपलब्ध कराए गए ब्योरे के अनुसार, विभिन्न श्रेणियों की मेल-एक्सप्रेस, पैसेंजर, राजधानी, शताब्दी, गरीबरथ और सुविधा रेल में से कोई भी रेलगाड़ी ऐसी नहीं है, जो समय पालन के मामले में खरी उतरी हो.

रेल मंत्रालय की ओर से मिले जवाब के अनुसार, मेल-एक्सप्रेस गाड़ियों में से वर्ष 2016-17 में 76.69 प्रतिशत, वर्ष 2017-18 में 71.39 प्रतिशत और वर्ष 2018-19 में 69.23 प्रतिशत ही समय पर चलीं. हालांकि इस साल कुछ सुधार नजर आ रहा है और सितंबर तक समय पालन का प्रतिशत 74.21 प्रतिशत है.

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पैसेंजर गाड़ियों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. वर्ष 2016-17 में 76.53 प्रतिशत, वर्ष 2017-18 में 72.66 प्रतिशत और वर्ष 2018-19 में 67.5 प्रतिशत पैसेंजर गाड़ियां ही समय पर चलीं. वहीं इस साल सितंबर तक समय पालन के मामले में 70.55 प्रतिशत गाड़ियां समय पर चलीं.

भारतीय रेल की सबसे बेहतर और सुविधा सम्पन्न गाड़ियां राजधानी और शताब्दी भी समय पालन के मामले में कमजोर साबित हो रही हैं. राजधानी एक्सप्रेस गाड़ियां वर्ष 2016-17 में 68.55 प्रतिशत, वर्ष 2017-18 में 69.99 प्रतिशत और वर्ष 2018-19 में 76.58 प्रतिशत ही समय पर चलीं. वहीं वर्तमान वर्ष में सितंबर तक यह प्रतिशत सुधर कर 81.43 हो गया है. शब्तादी एक्सप्रेस का हाल भी ऐसा ही है. वर्ष 2016-17 में 85.96 प्रतिशत, वर्ष 2017-18 में 82.30 प्रतिशत और वर्ष 2018-19 में 86.93 प्रतिशत ही समय पर चली हैं. इस साल सितंबर तक हालांकि यह आंकड़ा 90.94 प्रतिशत रहा.

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इसी तरह गरीब रथ बीते तीन सालों में सबसे बेहतर स्थिति में वर्ष 2016-17 में रहीं, जब समय पर स्टेशन पहुंचने का इनका रिकॉर्ड 66.81 प्रतिशत रहा. सुविधा ट्रेन का समय पालन के मामले में सबसे बेहतर प्रदर्शन वर्ष 2017-18 में रहा, जब 67.5 प्रतिशत गाड़ियां समय पर पहुंचीं.

आरटीआई कार्यकर्ता गौड़ का कहना है, "रोजाना पैसेंजर एवं एक्सप्रेस गाड़ियों में देश का एक बहुत बड़ा वर्ग यात्रा करता है। इनके समय पालन को लेकर सूचना के अधिकार के जरिए जो जानकारी मिली है, वह पीड़ादायक है."

      
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