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लॉकडाउन में रेलवे को देना पड़ रहा 96 लाख टिकटों का रिफंड, यहां जानिए इससे जुड़े नियम

भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन के बाद अब टिकटों का रिफंड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. रेलने को कुल 96 लाख टिकटों का करना पड़ रहा है.

Updated on: 30 Apr 2020, 10:44 AM

नई दिल्ली:

भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने लॉकडाउन के बाद अब टिकटों का रिफंड करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. रेलने को कुल 96 लाख टिकटों का करना पड़ रहा है. इनमें 32 लाख टिकट ऐसे हैं, जिन्हें ट्रेन रद्द होने की घोषणा से पहले यात्रियों ने खुद कैंसिल किया. इन 32 लाख टिकटों पर पार्शियल रिफंड दिया जा रहा है. हालांकि इन टिकटों पर कैंसिलेशन के वक्त क्लर्केज चार्ज लगाया गया है.

रेलवे सिर्फ लॉकडाउन फेज-1 के दौरान रद्द यात्राओं के 56,35000 टिकटों का रिफंड कर रहा है. इनमें फुल और पार्शियल दोनों रिफंड शामिल हैं. इनमें 32 लाख पार्शियल रिफंड हैं. जबकि लॉकडाउन के दोनों फेज को मिलाकर कुल 96 लाख टिकटों में से बाकी 64 लाख टिकट ट्रेनों के रद्द होने की घोषणा के बाद कैंसिल हुए थे. ऐसे में इन यात्राओं का रेलवे को फुल रिफंड करना पड़ रहा है.

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इसके अलावा लॉकडाउन के दोनों फेज मिलाकर कुल करीब 35 लाख टिकट का रिफंड रिजर्वेशन काउंटर खुलने पर किया जाएगा. क्योंकि लॉकडाउन से पहले हर रोज करीब 3 लाख टिकट रिजर्वेशन काउंटर से बुक होते रहे. मगर यहां आगे रेलवे के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. इसकी वजह यह है कि लॉकडाउन के बाद इन 35 लाख टिकटों का रिफंड लेने लोग टिकट काउंटर पर आएंगे, तब वहां भीड़ को संभालना मुश्किल होगा. अभी रेलवे के 73 फीसदी यात्री टिकट ऑनलाइन बुक होते हैं और बाकी 27 फीसदी टिकट काउंटर से बुक होते हैं.

हालांकि काउंटर से लिए टिकट का काफी नुकसान होता है. जो यात्री लॉकडाउन से पहले टिकट काउंटर से अपने टिकट कैंसिल करा चुके, वो यात्री अब यह सोचें कि उनकी ट्रेन आगे चलकर लॉकडाउन के कारण रद्द हो गई, इसलिए उन्हें पार्शियल रिफंड मिलना चाहिए तो ऐसा नहीं हो जाएगा, क्योंकि उनके टिकट काउंटर पर कैंसिलेशन के वक्त ही टिकट काउंटर में जमा हो गए थे. ऐसे में अब उनके पास यात्री होने का कोई प्रमाण नहीं रहा.

भारतीय रेलवे के टिकट के पूरे दाम के तीन हिस्से होते हैं. पहला रेल किराया, दूसरा कनविनिएंस फीस और तीसरा बैंक चार्ज. ऑनलाइन टिकट के कैंसिलेशन पर रिफंड में एसी क्लास पर 30 रुपये और नॉन एसी क्लास पर 15 रुपये कनविनिएंस फीस लगती है, जिसे आईआरसीटीसी लेता है. यह भी बता दें कि कनविनियंस फीस सिर्फ सफल टिकट की बुकिंग पर ली जाती है. मगर कैंसिलेशन में 10 रुपये सर्विस चार्ज या बैंक चार्ज भी अलग से कटता है, जिसे बैंक लेता है.

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जबकि कैंसिलेशन के वक्त कोई कैंसिलेशन चार्ज नहीं कटता. सामान्य तौर पर ट्रेन कैंसिल न होने पर ट्रेन छूटने के समय से 48 घंटे से लेकर 6 घंटे पहले तक टिकट कैंसिल करने पर किराए का 25 फीसदी क्लर्केज चार्ज कटता है. जबकि 6 घंटे से 2 घंटे पहले तक टिकट कैंसिल करने किराए का 50 फीसदी कटता है. वहीं ट्रेन छूटने से 2 घंटे पहले से ट्रेन छूटने के बीच टिकट कैंसिल करने पर रिफंड नहीं मिल पाता. यह क्लर्केज चार्ज आईआरसीटीसी के खाते में ना जाकर, सीधे रेलवे के खाते में जाता है.

यहां आपको बता दें कि कनवीनिएंस फीस कभी वापस नहीं होती है. टिकट बुकिंग के वक्त सर्विस चार्ज कटता है, उसे कैंसिलेशन के समय आईआरसीटीसी वापस नहीं करता. क्योंकि आईआरसीटीसी के अनुसार, वह अपना सर्विस दे चुका है. यानी टिकट काउंटर पर कतार में लगकर होने वाली असुविधा से यात्री को वह बचा चुका है.

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