logo-image

यात्रीगण ध्‍यान दें, निजी ट्रेनों में सफर करने के लिए देना होगा अधिक पैसा

मोदी सरकार ने रेलवे में निजी भागीदारी बढ़ाने का ऐलान किया था. उसी ऐलान को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेलवे ने पब्‍लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के जरिए 100 रूट्स पर 151 ट्रेनों को चलाने की मंजूरी दे दी है.

Updated on: 07 Jul 2020, 04:35 PM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने रेलवे में निजी भागीदारी बढ़ाने का ऐलान किया था. उसी ऐलान को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेलवे ने पब्‍लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के जरिए 100 रूट्स पर 151 ट्रेनों को चलाने की मंजूरी दे दी है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन ट्रेनों का किराया कौन तय करेगा? इसका भी जवाब मिल गया है. बताया जा रहा है कि रेलवे (Indian Railway) प्राइवेट कंपनियों को किराया तय करने का अधिकार दे सकती हैं.

यह भी पढ़ें : विकास दुबे के सहयोगियों के PHOTO VIRAL, पुलिस ने 15 वांछितों के पोस्टर किए जारी 

लाइव मिंट की खबर के मुताबिक, निजी ट्रेन की बुकिंग रेलवे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) के जरिए ही होगी. बताया जा रहा है कि एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जाएगा जिसमें टिकट बुकिंग से होने वाली आमदनी को एस्क्रो (escrow) अकाउंट में रखा जाएगा. PIM (Project Information Memorandum Document) का मकसद बोली लगाने वाली कंपनियों को पैसेंजर ट्रेन ऑपरेशंस के प्रस्ताव का विस्तृत आइडिया देना है.

PIM के मुताबिक, "प्राइवेट कंपनियों की ट्रेन खुलने के 60 मिनट बाद तक कोई भी ट्रेन उस डेस्टिनेशन के लिए नहीं जाएगी. हालांकि यह शर्त तब लागू नहीं होगी जब शुरू के तीन महीनों में इन ट्रेन की ऑक्युपेंसी 80 फीसदी से ज्यादा होगी."

यह भी पढ़ें : विकास दुबे के करीबी दोस्त जय वाजपेयी से STF कर रही पूछताछ, कुछ ही सालों में आम आदमी से बन गए करोड़पति 

प्राइवेट कंपनियों की 151 ट्रेनें उन बिजी रूट पर चलेंगी, जहां पैसेंजर ज्यादा हैं. प्रोजेक्ट के लिए कंसेशन पीरियड 35 साल का होगा. प्राइवेट कंपनियां रेलवे को फिक्स्ड Haulage चार्ज देंगी और कमाई में हिस्‍सा भी रेलवे के साथ शेयर करेंगी. नीलामी की प्रक्रिया के तहत रेलवे का हिस्सा तय होगा. हर ट्रेन में कम से कम 16 कोच होंगे. रेलवे का यह भी कहना है कि इन ट्रेनों में से अधिकांश को मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाया जाएगा.