6000 रुपए के पैकेट में सिर्फ 1500 के ड्राइफ्रूट्स, त्योहारी सीजन में शुरू हुआ ठगों का खेल
Diwali Special: दिवाली आने में महज 5 दिन शेष हैं. ऐसे में जमकर गिफ्ट्स पैक (gifts pack) खरीदे जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों से दिवाली पर मिठाई कम और ड्राईफ्रूट्स की लुभावनी पैकेजिंग (Attractive packaging of dryfruits)की ज्यादा खरीददारी की जाती है.
highlights
- नियमों को धता बताकर, जमकर मुनाफा कमा रहे पैकेजिंग व्यापारी
- पैकेट पर न वेट अंकित है और न ही रेट, लुभावनी पैकेजिंग में फंस रहे ग्राहक
- बाटमाप तौल विभाग भी सरकार से ले रहा फ्री की सैलरी, नहीं चलता चैकिंग अभियान
नई दिल्ली :
Diwali Special: दिवाली आने में महज 5 दिन शेष हैं. ऐसे में जमकर गिफ्ट्स पैक (gifts pack) खरीदे जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों से दिवाली पर मिठाई कम और ड्राईफ्रूट्स की लुभावनी पैकेजिंग (Attractive packaging of dryfruits)की ज्यादा खरीददारी की जाती है. लेकिन क्या आपको पता पैकेजिंक के माहिर ठग (thugs of packaging)आपको सलीके से चूना लगा रहे हैं. जी हां इन दिनों ड्राई फ्रूट्स के सजे हुए डिब्बे लोगों को जमकर लुभा रहे हैं. आपको बता दें कि इनमें बताई गई मात्रा के अनुरूप ड्राई फ्रूट्स (dryfruits)होते ही नहीं है, दूसरा कब तक ये खाने योग्य हैं, इसका भी पता नहीं. बस लुभावनी पैकेजिंग (Attractive packaging)पर लोगों का ध्यान आकर्षित कर ये ठग जहां अपनी जेब गर्म कर रहे हैं. वहीं जिसको गिफ्ट में डिब्बे दिये जा रहे हैं उनकी सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं.
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आपको बता दें कि ड्राईफ्रूट्स (dryfruits)की थाल में 500-500 ग्राम बादाम, किशमिश, अखरोट, काजू और मुनक्के हैं, जिनकी कीमत 1500 रुपए से ज्यादा नहीं है. लेकिन लुभावनी पैकेजिंग के चलते थाल पर जो रेट पड़े हैं वो आपकी आंख खोलने के लिए काफी हैं. क्योंकि किसी थाल पर 6000 रुपए तो किसी पर 8050 रुपए तक रेट अंकित हैं. इन ठगों की कारगुजारी से जहां आपके साथ तो ठगी हो ही रही है. साथ ही सरकार के वैट की चोरी की जा रही है. नोएडा, दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में पैकेजिंग की भरमार है. सूत्रों का दावा है कि इस बार 200 करोड़ से ज्यादा का व्यापार इस पैकेजिंग के खेल के चलते होने वाला है.
200 करोड़ का कारोबार
नोएडा के प्रसिद्ध कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया “ शहर में मिठाई एसोसिएशन के अंदर लगभगद 252 कारोबारी आते हैं. पिछली दिवाली पर सभी ने मिलकर 130 करोड़ रुपए का कारोबार किया था, क्योंकि पिछली बार कोरोना का भी असर था. इसलिए इस साल ज्यादा कारोबार होने की संभावना है.” पैकेजिंग नियम का पालन न करने वाले विक्रेताओं पर बांट मापतौल की नजर तो है. लेकिन चेकिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही होती है. इसलिए सभी कारोबारी दिवाली से एकमाह पहले ही पैकेजिंग का काम शुरू कर देते हैं और लोगों की जेब काटकर मोटा मुनाफा कमाते हैं.
क्या है नियम
आपको बता दें कि पैकेजिंक के ये माहिर खिलाड़ी अपने हिसाब से डिब्बों की पैकिंग कराते हैं. इन डिब्बों पर न तो वजन दर्ज है और न ही कीमत. कीमत के नाम पर हाथ से लिखी हुई चिट चिपकाई जाती है. यही नहीं बेस्ट बीफोर की चेतावनी लिखी नहीं होती है. उप नियंत्रक बांट मापतौल के मुताबिक “पैकेज्ड आइटम नियम 2011 के अनुसार डिब्बे में पैक हर वस्तु पर कमोडिटी कानून लागू होता है”. पैक किये गए सामान की मात्रा सहित उसकी सभी टेक्स सहित एमआरपी लिखना अनिवार्य है. इसके एक्सपाइरी डेट के साथ पैकेजिंक करने वाली कंपनी का नंबर भी लिखा होना चाहिए. साथ ही सभी पैकेट पर बेस्ट फोर बीफोर की चेतावनी भी लिखी होना आवश्यक है.
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