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Omicron की नई गाइडलाइन जारी, अब एयरपोर्ट पर 4-6 घंटे करना पड़ेगा इंतजार

देश में एक बार फिर से कोरोना पैर पसारने की कोशिश में लगा है, लेकिन अब ऑथोरिटीज़ और तमाम अलग-अलग विभाग इसे रोकने में लगे हैं.

Updated on: 02 Dec 2021, 05:26 PM

नई दिल्ली:

देश में एक बार फिर से कोरोना पैर पसारने की कोशिश में लगा है, लेकिन अब ऑथोरिटीज़ और तमाम अलग-अलग विभाग इसे रोकने में लगे हैं. इसमें एयरपोर्ट की भूमिका काफी अहम हो जाती है, क्योंकि विदेशों से आने वालों से ही ओमीक्रॉन के फैलने का खतरा है, इसलिए ऐसे यात्रियों की पहचान करना जो कोरोना संक्रमित या फिर नए संक्रमण से पीड़ित हैं उनकी जांच कर अलग किया जाए, इसलिए डीजीसीए ने नई गाइडलाइन जारी की है जो आज से लागू हो चुकी है.

नई गाइडलाइन के अनुसार 

  • विदेशों से आ रहे यात्रियों का आरटीपीसीआर टेस्ट जरूरी होगा 
  • यात्रियों को अपना सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा, जिसमें 14 दिन की हिस्ट्री के साथ एयर सुविधा पोर्टल पर फ्लाइट लेने से पहले सारी जानकारी अपलोड करनी होगी.
  • कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए 14 दिन यात्री किन-किन देशों की यात्रा करके आया या फिर किन-किन से मिला इसकी जानकारी देनी होगी.
  • कोविड प्रोटोकॉल का एयरपोर्ट और एयरलाइंस को सही से पालन करना होगा यानी सामाजिक दूरी, मास्क ज़रूरी, सेनेटाइज़ेशन को सख्ती से पालन करना होगा. 

किन-किन देशों से ओमिक्रोन के फैलने का ज़्यादा ख़तरा?

ओमीक्रॉन साउथ अफ्रीकन वैरिएंट है, जो उससे जुड़े और करीब के देशों में भी फैल चुका है. कुछ देशों ने साउथ अफ्रीका से आने वाली फ्लाइट पर तुरंत रोक भी लगा दी. इनमें इटली, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, जापान, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, नीदरलैंड, माल्टा, मलेशिया, मोरक्को, फिलीपींस, दुबई, जॉर्डन, अमेरिका, कनाडा और तुर्की शामिल हैं. हालांकि, भारत में साउथ अफ्रीका से कोई डायरेक्ट फ्लाइट नहीं आती है, इसलिए सीधा खतरा तो नहीं लेकिन कई ऐसी फ्लाइट हैं जो कनेक्ट हैं इसलिए रिस्क न लेते हुए विदेशों से आने वाले सभी यात्रियों की गहन जांच के आदेश हैं.

एयरपोर्ट पर आरटीपीसीआर टेस्ट में लगेंगे 4-6 घंटे

एयरपोर्ट पर आरटीपीसीआर टेस्ट में अब 4 से 6 घंटे लगेंगे, जो भी विदेश यात्रा करके भारत पहुंच रहे हैं उनकी सभी एयरपोर्ट्स पर आरटीपीसीआर टेस्ट से ही गुज़रना होगा, जिसमें 4 से 6 घंटे लग सकते हैं. इनमें कोरोना संक्रमित मामले तो जांच में है ही लेकिन नए वेरिएंट पर ज़्यादा फोकस है ताकि ऐसे लोगों को आने पर उन्हें अलग किया जा सके.