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भारत पहुंची पानी से चलने वाली पहली कार, जानिए मार्केट में कब से शुरू होगी सेल?

नितिन गड़करी ने ​कहा कि लोग मेरी बात पर यकीन नहीं कर रहे हैं, लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली एक कार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंच चुकी है. गडकरी ने कहा कि लोगों को यकीन दिलवाने के लिए मैं खुद उस कार की सवारी करुंगा

Updated on: 10 Dec 2021, 06:28 PM

नई दिल्ली:

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ जब पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से तंग आकर आपके मुंह से निकला हो कि...काश गाड़ियां पानी से चला करतीं. अगर गाड़ियां पानी से चला करतीं तो कितना अच्छा होता...हालांकि आपका मन जानता था कि ऐसा नहीं होगा. लेकिन अब हम आपको जो खुशखबरी देने जा रहे हैं, उसको सुनकर एक बार को अपन अपने खुद पर भी यकीन नहीं कर पाएंगे. खबर ये है कि वैज्ञानिकों ने पानी से चलने वाली कार का फॉमूला इजाद कर लिया है. और तो और पानी से चलने वाली पहली कार अपने देश भारत भी पहुंच चुकी है. अब इसका बस मार्केट में आना बाकि है. केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ( Union Road Transport and Highway Minister Nitin Gadkari ) ने खुद इस बात की पुष्टि की है. 

नितिन गड़करी करेंगे कार की सवारी

दरअसल, भारत सरकार लंबे समय से पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का विकल्प तलाश रही थी. इस क्रम में सरकार पिछले कई सालों से बायोएथेनॉल और ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी (  green hydrogen )  पर काम कर रही थी. हालांकि उस समय केंद्र सरकार की यह प्लानिंग किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती थी. लेकिन सरकार को इस दिशा में बड़ी सफलता हाथ लगी है. फिलहाल सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली एक कार मंगवाई है. एक प्राइवेट न्यूज चैनल के कार्यक्रम में बोलते ही नितिन गड़करी ने कहा कि ​लोग मेरी बात पर यकीन नहीं कर रहे हैं, लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली एक कार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंच चुकी है. गडकरी ने कहा कि लोगों को यकीन दिलवाने के लिए मैं खुद उस कार की सवारी करुंगा.

क्या पानी से चलेगी कार?

नितिन गडकरी ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग कर ग्रीन हाइड्रोजन तैयार की जाएगी. ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है... ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है जहाँ उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है. आपको बता दें कि भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, ONGC और NTPC जैसी भारत की बड़ी कंपनियों ने इस दिशा में काम करना शुरू दिया है.

केंद्र सरकार ने क्यों लिया फैसला 

आपको बता दें कि देश में पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल-डीजल के दाम चढ़े हुए हैं, जिसके चलते आम आदमी का बजट बिगड़ गया है. आलम यह है कि तेल के खर्चें को न वहन कर पाने के चलते कुछ लोगों ने अपनी खुद की गाड़ी छोड़ या तो कार पूलिंग शुरू कर दी है या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अपना लिया है. हालांकि सरकार को भी इसकी चिंता है. यही वजह है कि पिछले दिनों केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से उत्पाद शुल्क और वैट में कटौती कर पेट्रोल डीजल के दामों में कमी की गई.