100 रुपए में 100 किलोमीटर चलेगी आपकी कार, सरकार ने खोजा पेट्रोल-डीजल का विकल्प
पेट्रोल डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों ने आम लोगों का बजट बिगाड़ दिया है. आलम यह है कि तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से लोग अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेने लगे हैं
नई दिल्ली:
Petrol Diesel: पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से हर कोई परेशान है. आसमान छूती तेल की कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ती है. हालांकि सरकार को भी इस बात का भान है, यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने पिछले दिनों पेट्रोल डीजल के उत्पाद शुल्क और वैट में कटौती कर जनता को राहत देने का प्रयास किया, लेकिन यह कोशिश नाकाफी साबित हुई. लेकिन पेट्रोल डीजल पर निर्भरता कम करने के प्रत्यत्न में जुटी सरकार को इस क्रम में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. सरकार एक ऐसा फार्मूला लेकर आई, जिसको अपना कर आप अपनी गाड़ी को 100 रुपए में 100 किलोमीटर तक चला सकते हैं.
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पर्यावरण के लिहाज से भी काफी किफायती
हम यहां बात कर रहे हैं ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी की. दरअसल, सरकार पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का फार्मूला लेकर आई है. यह ऐसी टेक्नोलॉजी है, जो पेट्रोल-डीजल के मुकाबले काफी सस्ती तो है ही, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी काफी किफायती है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ( Union Minister for Road Transport and Highways Nitin Gadkari ) ने खुद इसकी पुष्टि की है. एक प्राइवेट न्यूज चैनल के कार्यक्रम में बोल रहे नितिन गडकरी ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन तेल के मुकाबले काफी सस्ती है. इसके इस्तेमाल से गाड़ी 60 से 70 पैसे प्रति किलोमीटर तक चल सकती है. गडकरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाहन महंगे तो होते ही हैं साथ में पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं. इस लिहाज से ग्रीन एनर्जी काफी मददगार साबित होगी.
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भारत की सड़कों पर दौड़ेगी गाड़ी
नितिन गडकरी ने कहा कि अब वो दिन दूर नहीं है, जब आपकी गाड़ी 100 रुपए के खर्च पर 100 किलोमीटर तक चल सकेगी. उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआत ने ग्रीन हाइड्रोजन को मजाक के तौर पर लिया था, लेकिन मैं आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली पहली गाड़ी आ चुकी है, जिसको जल्द ही भारत की सड़कों पर घुमाया जाएगा. आपको बता दें कि ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण पानी से किया जाता है. पानी से ऑक्सीजन व हाइड्रोजन को अलग कर एनर्जी का निर्माण किया जाता है. कई देशों में गंदे सीवेज के पानी आदि का इस्तेमाल भी ग्रीन हाइड्रोजन बनाने में किया जाता है. हालांकि यह टेक्नोलॉजी काफी महंगी बताई जा रही है.
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