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जुर्माने को लेकर ट्रैफिक पुलिस भी कन्‍फ्यूज, नए मोटर वाहन एक्‍ट की राह आसान नहीं

कांग्रेस शासित राज्‍यों को तो छोड़ ही दें, बीजेपी शासित राज्‍यों में भी इस कानून का चौतरफा विरोध हो रहा है.

Updated on: 12 Sep 2019, 02:35 PM

नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा बनाए गए नए मोटर वाहन एक्‍ट का चौतरफा विरोध हो रहा है. और तो और प्रधानमंत्री मोदी के राज्‍य में ही इस कानून का विरोध किया जा रहा है. गुजरात की विजय रूपाणी सरकार ने तो जुर्माने की राशि भी घटा दी है. गुजरात की तर्ज पर उत्‍तराखंड की सरकार ने भी जुर्माना कम कर दिया है. अब खबर है कि उत्‍तर प्रदेश में भी अगले कैबिनेट में इस तरह का प्रस्‍ताव आने वाला है. कांग्रेस शासित राज्‍यों को तो छोड़ ही दें, बीजेपी शासित राज्‍यों में भी इस कानून का चौतरफा विरोध हो रहा है. दूसरी ओर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि जुर्माने की राशि कोई भी कम नहीं कर सकता.

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मोदी सरकार ने बीते बजट सत्र में मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 कानून बनाकर ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वालों से मोटा जुर्माना वसूलने की व्यवस्था की है. दूसरी ओर, भारी जुर्माने के खिलाफ कई राज्य आवाज उठा रहे हैं. हालत यह है कि अब तक कई राज्‍यों ने केंद्र सरकार के प्रावधानों को लागू करने का कोई नोटिफिकेशन तक नहीं जारी किया है. अधिसूचना के अभाव में कई राज्यों में पुराने रेट पर ही चालान कट रहे हैं. वहीं दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्‍यों में अधिसूचना के बगैर ही नए रेट पर चालान काटे जा रहे हैं.

खास बात है कि बीजेपी शासित राज्यों ने भी इस नए कानून को हूबहू लागू करने को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं. गुजरात ने तो केंद्र सरकार की ओर से लागू जुर्माने को कम भी कर दिया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दरों को कम करने के लिए परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है. विरोध करने वाले राज्यों का तर्क है कि अधिक जुर्माना आम आदमी बर्दाश्त नहीं कर सकता. केंद्र सरकार ने एक सितंबर से नई दरें लागू की हैं.

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जानकारों का मानना है कि केंद्र और राज्य के बीच गतिरोध खड़ा होने से संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है. ऐसे में पुराने रेट से ही जुर्माना वसूला जा रहा है. केंद्र और राज्यों के बीच जुर्माना रेट पर जारी गतिरोध से राज्यों की ट्रैफिक पुलिस कन्फ्यूज है.

उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने भी नए कानून को हूबहू लागू करने से हाथ खड़े कर दिए हैं. दिल्ली, तेलंगाना, केरल, केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी आदि राज्यों ने केंद्र सरकार की दरों के अध्ययन व पहले जागरूकता फैलाने के बाद ही नई दरों पर फैसला लेने की बात कही है.