पीएफ और ग्रेच्‍युटी के नियमों में बदलाव करने जा रही मोदी सरकार, आप भी दे सकते हैं सुझाव

भवन निर्माण में लगे मजदूर, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, टमटम कर्मी और प्लेटफार्म कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों में बदलाव होगा.

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Sunil Mishra
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पीएम नरेंद्र मोदी( Photo Credit : File Photo)

भवन निर्माण में लगे मजदूर, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, टमटम कर्मी और प्लेटफार्म कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों में बदलाव होगा. इसमें कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, ग्रेच्युटी व मातृत्व लाभ से जुड़े बदलाव शामिल हैं. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 पर मसौदा अधिनियम को अधिसूचित किया. किसी भी पक्ष को इसके संबंध में कोई आपत्ति या सुझाव है तो उन्हें आमंत्रित किया गया है. अगर किसी को कोई आपत्ति है या कोई इस मसौदे पर अपने सुझाव देना चाहता है तो अधिनियम मसौदा की अधिसूचना के 45 दिन के भीतर उसे भेज सकता है.

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केंद्रीय मंत्रालय ने रविवार को इस विषय में जानकारी जारी करते हुए कहा, "यह अधिनियम अन्य निर्माण कामगारों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार या राज्य कल्याण बोर्ड की चिन्हित वेबसाइट पर आधारित पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराएगा. इन बदलावों के चलते भवन निर्माण में लगे मजदूर अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं तो उन्हें सामाजिक सुरक्षा के सभी लाभ जिस राज्य में वह काम कर रहे हैं, वहां पर प्राप्त होगा. ऐसे कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी उस राज्य के भवन निर्माणकर्मी कल्याण बोर्ड की होगी."

इन नियमों में ऐसे मजदूरों के लिए भी ग्रेच्युटी के प्रावधान किए गए हैं. इन नियमों में उपलब्ध प्रावधान से किसी प्रतिष्ठान के लिए एकल इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण कराना होगा, जिसमें व्यावसायिक गतिविधियों के बंद होने की स्थिति में पंजीकरण का निरस्तीकरण भी शामिल है.

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कहा, "ईपीएफओ और ईएसआईसी के दायरे से किसी व्यवसायिक प्रतिष्ठान के बाहर होने के संबंध में नियम और शर्तों के भी प्रावधान इसमें किए गए हैं. भवन निर्माण या अन्य निर्माण कर्मियों के लिए सेस का भुगतान और स्वत आंकलन की प्रक्रिया को इन नियमों में विस्तार से उल्लेखित किया गया है. स्व आकलन के उद्देश्य से रोजगार प्रदाता को राज्य के लोक निर्माण विभाग या केंद्रीय लोक निर्माण विभाग या रियल स्टेट नियामकप्राधिकरण को जमा कराए गए दस्तावेज या रिटर्न के आधार पर निर्माण लागत की गणना करनी होगी."

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के मुताबिक, सेस के भुगतान में देरी पर लगाए जाने वाले ब्याज दर को भी प्रतिमाह 2 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी किया गया है. वर्तमान में मौजूदा नियमों के आधार पर आकलन अधिकारी को यह निर्देशित करने का अधिकार था कि निर्माण स्थल से कोई भी निर्माण सामग्री या मशीन को हटाया नहीं जा सकता. उसे प्रभावित नहीं किया जा सकता. ऐसे अधिकारों से निर्माण कार्य को अनिश्चितकाल के लिए रोका जा सकता था. मसौदा नियमों में इसे खत्म कर दिया गया है. अब आकलन अधिकारी निर्माण स्थल का दौरा कर सकता है, लेकिन उसके लिए उसके पास भवन और अन्य निर्माण कर्मचारी बोर्ड के सचिव की मंजूरी होनी चाहिए.

Source : IANS

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