LPG सिलेंडर फटने पर कंपनी देती है लाखों का क्लेम, जानें अपने अधिकार
नेशनल कंज्यूमर फोरम ने अपने फैसले में कहा था कि मार्केटिंग डिस्प्लिन गाइडलाइंस 2014 फॉर एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशन के तहत तय है कि डीलर ने डिफेक्टिव सिलेंडर सप्लाई किया तो वह अपनी जिम्मेदारी शिकायती पर नहीं डाल सकता. गाइडलाइंस कहती हैं कि डीलर डिलिवरी से पहले चेक करें कि सिलेंडर बिल्कुल ठीक है या नहीं.
नई दिल्ली:
अब हर घर में एलपीजी सिलेंडर की पहुंच चुका है लेकिन अब भी अधिकत्तर लोगों को इससे जुड़ी सावधानियों के बारें में जानकारी का आभाव है. एलपीजी का इस्तेमाल करते हुए हमें किस प्रकार की सावधानी बरतनी चाहिए या किसी तरह की दुर्घटना होने पर क्या किया जाना चाहिए या फिर एक उपभोक्ता के तौर पर आपके क्या अधिकार है. आज हम आपको यहां इससे जुड़ी हुई कई महत्वपूर्ण बातें बताएंगे.
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बता दें कि सिलेंडर लीक या ब्लास्ट होने पर इसकी जिम्मेदारी सिलेंडर कंपनी और डीलर पर होती है. 16 साल पहले हुए एक हादसे पर नेशनल कंज्यूमर फोरम ने यह आदेश दिया था और यह अब भी लागू है. नेशनल कंज्यूमर फोरम ने अपने फैसले में कहा था कि मार्केटिंग डिस्प्लिन गाइडलाइंस 2014 फॉर एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशन के तहत तय है कि डीलर ने डिफेक्टिव सिलेंडर सप्लाई किया तो वह अपनी जिम्मेदारी शिकायती पर नहीं डाल सकता. गाइडलाइंस कहती हैं कि डीलर डिलिवरी से पहले चेक करें कि सिलेंडर बिल्कुल ठीक है या नहीं.
जानें कैस मिलता है Insurance claim
1. मायएलपीजी.इन (http://mylpg.in) के मुताबिक जैसे ही कोई व्यक्ति एलपीजी कनेक्शन लेता है तो उसे मिले सिलेंडर से यदि उसके घर में कोई दुर्घटना होती है तो उस व्यक्ति को 50 लाख रुपये तक का बीमा दिया जाता है.
2. एलपीजी सिलेंडर के बीमा कवर पाने के लिए ग्राहक को दुर्घटना होने की तुरंत सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन और अपने एलपीजी वितरक को देनी होती है.
3. पीएसयू ऑयल विपणन कंपनियों जैसे इंडियन ऑयल, एचपीसी तथा बीपीसी के वितरकों को व्यक्तियों और संपत्तियों के लिए तीसरी पार्टी बीमा कवर सहित दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेनी होती है.
4. एक दुर्घटना पर अधिकतम 50 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है.
5. दुर्घटना से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है.
6. एलपीजी सिलेंडर के बीमा कवर पाने के लिए ग्राहक को दुर्घटना होने की तुरंत सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन और अपने एलपीजी वितरक को देनी होती है.
7. ये किसी व्यक्तिगत ग्राहक के नाम से नहीं होतीं बल्कि हर ग्राहक इस पॉलिसी में कवर होता है. इसके लिए उसे कोई प्रीमियम भी नहीं देना होता.
8. दुर्घटना होने पर उसकी ओर से वितरक के जरिए मुआवजे का दावा किया जाता है. दावे की राशि बीमा कंपनी संबंधित वितरक के पास जमा करती है और यहां से ये राशि ग्राहक के पास पहुंचती है.
9. एफआईआर की कॉपी, घायलों के इलाज के पर्चे व मेडिकल बिल और मौत होने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाणपत्र सुरक्षित रखें.
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बता दें कि हाल ही में गैस सिलेंडर लीक होने और फटने के मामले में महिला के मौत के एक मामले में कंज्यूमर कोर्ट ने कंपनी को 10 लाख 46 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही इस हादसे में बुरी तरह घायल हुई दूसरी महिला को 1 लाख 75 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.
गौरतलब है कि दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में एक घर में गैस का सिलिंडर लीक और ब्लास्ट के कारण सास और बहू दोनों बुरी तरह झुलस गए थे. जिसके बाद इलाज के दौरान बहू ने दम तोड़ दिया. 3 अप्रैल 2003 को महिला और उनकी बहू किचन में खाना बना रही थीं. इसी दौरान गैस सिलिंडर खाली हो गया. जब दूसरा भरा सिलिंडर लगाने के लिए लाया गया तो कैप खोलते हुए उसमें से गैस लीक हुई और लिक्विड गैस का फव्वारा फूटा, फव्वारा फूटते ही दोनों महिलाएं गैस की चपेट में आ गई थी. इस हादसे में बहू 90 फीसदी तक जल गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी. वहीं सास बुरी तरह झुलस गयी थी.
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