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Oxygen Plant कैसे लगा सकते हैं, कितनी आती है लागत, यहां जानिए सबकुछ

Medical Oxygen: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि केंद्र सरकार की 12 राज्यों के साथ बैठक के बाद राज्यों की जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग राज्यों को 6,177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी.

Updated on: 22 Apr 2021, 12:58 PM

highlights

  • जानकारी के मुताबिक आमतौर पर अस्पतालों में 7 क्यूबिक मीटर की क्षमता वाले ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है
  • 1 क्यूबिक मीटर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की अधिकतम कीमत 15.22 रुपये और मेडिकल ऑक्सीजन की कीमत 25.71 रुपये तय है

नई दिल्ली :

Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस महामारी के दूसरे लहर ने देश में हाहाकार मचा दिया है. कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार भारी बढ़ोतरी हो रही है. दूसरी ओर ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की कमी की वजह से लगातार कोरोना से संक्रमित गंभीर मरीजों की मौत हो रही है. देशभर में ऑक्सीजन गैस की किल्लत होने से मरीजों को इसकी व्यवस्था करने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि केंद्र सरकार की 12 राज्यों के साथ बैठक के बाद राज्यों की जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग राज्यों को 6,177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी. बता दें कि मेडिकल ऑक्सीजन कोरोना मरीजों के लिए काफी जरूरी है ऐसे में मेडिकल ऑक्सीजन क्या होती है, कैसे बनाई जाती है, इसकी लागत क्या है और यह अस्पतालों तक पहुंचती है. इन सब सवालों के जवाब हम इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करेंगे. 

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मेडिकल ऑक्सीजन बनाने का तरीका

बता दें कि ऑक्सीजन हवा और पानी दोनों में मौजूद रहती है. हमारे चारो ओर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21 फीसदी और 78 फीसदी नाइट्रोजन होती है. इसके अलावा 1 फीसदी अन्य गैसें जिसमें आर्गन, हीलियम, नियोन, क्रिप्टोन, जीनोन जैसी गैस शामिल होती है. गौरतलब है कि इन सभी गैस का बॉयलिंग प्वाइंट काफी कम और अलग-अलग होता है. ऑक्सीजन बनाने की प्रक्रिया के तहत सबसे पहले हवा को जमा करके उसे ठंडा करते जाना है तो -108 डिग्री पर जीनोन गैस लिक्विड में बदल जाएगी और फिर उसे हवा से अलग किया जा सकता है. बता दें कि ऑक्सीजन प्लांट में हवा में से ऑक्सीजन को अलग किया जाता है और इस प्रक्रिया के लिए एयर सेपरेशन की तकनीक का इस्तेमाल होता है, यानि कि हवा को कंप्रेस किया जाता है और उसके बाद अशुद्धियां दूर करने के लिए फिल्टर किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद हवा को डिस्टिल करते हैं ताकि ऑक्सीजन को दूसरी गैसों से अलग किया जा सके. इस प्रक्रिया के बाद ऑक्सीजन लिक्विड बन जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आजकल ऑक्सीजन बनाने के लिए एक पोर्टेबल मशीन भी आती है जिसे मरीज के पास रख दी जाती है और यह मशीन हवा से ऑक्सीजन को अलग करके मरीज तक पहुंचती रहती है. 

बिजनेस शुरू करने के लिए लाइसेंस जरूरी

मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलेंडर का बिजनेस शुरू करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है. आवेदक को यह देखना जरूरी है कि वह लाइसेंस हासिल करने करने के लिए सभी नियमों को पूरा कर रहा है या नहीं. कोई भी व्यक्ति बगैर लाइसेंस के लिए इस बिजनेस को शुरू नहीं कर सकता है. इस बिजनेस को शुरू करने के लिए राज्य स्तर पर लाइसेंस की जरूरत होती है. इसके अलावा किस जगह पर बिजनेस शुरू करना चाहते हैं इसके लिए स्थानीय बोर्ड से अनुमति लेना जरूरी है. कानूनी रूप से शुरू करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. 

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प्लांट लगाने में लगता है ज्यादा पैसा

मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलेंडर का प्लांट (Oxygen Plant) चूंकि बड़ा होता है ऐसे में इसको शुरू करने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत होती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जानकारों का कहना है कि इस बिजनेस के लिए कम से कम 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की जरूरत होती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में तकरीबन 500 फैक्ट्रियां हवा से ऑक्सीजन बनाती हैं.
 
इस तरह से अस्पताल पहुंचती है ऑक्सीजन

मैनुफैक्चरर्स के द्वारा लिक्विड ऑक्सीजन को बड़े टैंकर में स्टोर किया जाता है और फिर वहां से काफी ठंडे क्रायोजेनिक टैंकरों के जरिए डिस्ट्रीब्यूटर तक भेजा जाता है. इसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर इसका प्रेशर कम करके गैस के रूप में विभिन्न प्रकार के सिलेंडर में भरते हैं. उसके बाद यह सिलेंडर अस्पतालों और छोटे सप्लाइयर्स तक पहुंचाए जाते हैं. बता दें कि कुछ बड़े अस्पताल में ऑक्सीजन बनाने वाले प्लांट हैं. 

सामान्तया हॉस्पिटल में ऑक्सीजन के कौन से सिलेंडर का होता है इस्तेमाल 

जानकारी के मुताबिक आमतौर पर अस्पतालों में 7 क्यूबिक मीटर की क्षमता वाले ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है. इस सिलेंडर की ऊंचाई करीब 4 फुट 6 इंच और क्षमता 47 लीटर के आस-पास होती है. प्रेशर के जरिए इस सिलेंजर में करीब 7 हजार लीटर ऑक्सीजन भरी जाती है. जानकारी के मुताबिक इस सिलेंडर के जरिए किसी मरीज को करीब 20 घंटे तक ऑक्सीजन दी जा सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 7 क्यूबिक मीटर वाले मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर को रिफिल कराने में 175 से 200 रुपये का खर्च आता है और अस्पताल के खर्चों को जोड़कर इस सिलेंडर का दाम 350 रुपये हो सकता है.

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बता दें कि केंद्र सरकार ने 1 क्यूबिक मीटर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की अधिकतम कीमत (एक्स फैक्टरी) 15.22 रुपये और मेडिकल ऑक्सीजन की कीमत 25.71 रुपये तय कर रखी है. इस कीमत में जीएसटी शामिल नही हैं. बता दें कि 25 सितंबर 2020 को नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी यह दाम तय किए थे.