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बच्चों को बाइक पर ले जा रहे बैठाकर, तो इन नए नियमों का रखें ध्यान

बाइक सवारों को यह भी ध्यान रखना होगा कि जिस टू व्हीलर पर इस उम्र के बच्चे होंगे उसकी अधिकत्तम रफ्तार 40 किमी प्रति घंटे ही रखनी होगी.

Updated on: 17 Feb 2022, 11:14 AM

highlights

  • अगले साल 15 फरवरी से लागू हो जाएंगे नए नियम
  • बच्चों को हेलमेट और सेफ्टी हार्नेस संग बैठना होगा
  • बाइक की रफ्तार भी 40 किमी से ज्यादा नहीं होगी

नई दिल्ली:

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अब बच्चों को मोटरसाइकिल पर ले जाते समय क्रैश हेलमेट और सेफ्टी हार्नेस पहनना अनिवार्य कर दिया है. केंद्रीय मोटर वाहन (द्वितीय संशोधन) नियम 2022 के प्रकाशन की तारीख से एक वर्ष के बाद नियम लागू होंगे. यानी इन नए नियमों के अगले साल 15 फरवरी से लागू होने की संभावना है. नौ महीने से लेकर चार साल उम्र तक के बच्चों के लिए बाइक सवारों को यह भी ध्यान रखना होगा कि जिस टू व्हीलर पर इस उम्र के बच्चे होंगे उसकी अधिकत्तम रफ्तार 40 किमी प्रति घंटे ही रखनी होगी.

40 किमी से ज्यादा नहीं हो रफ्तार
मंत्रालय एक बयान में कहा, 'यह मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 के तहत अधिसूचित किया गया है, जो कहता है कि केंद्र सरकार नियमों के अनुसार चार साल से कम उम्र के बच्चों की सुरक्षा के लिए उपाय कर सकती है, सवारी कर रही है या मोटरसाइकिल पर ले जा रही है.' सरकार ने यह भी अनिवार्य कर दिया है कि ऐसी मोटरसाइकिलों को 40 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से नहीं चलाया जा सकता. मंत्रालय ने आगे कहा कि सेफ्टी हार्नेस सहित प्रोटेक्टिव गियर हल्के वजन, एडजस्टेबल, वाटरप्रूफ और टिकाऊ होने चाहिए.

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उल्लंघन पर हजार रुपए जुर्माना और लाइसेंस रद्द
इन नियमों का पालन नहीं करने पर 1,000 रुपये का जुर्माना और तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने का प्रावधान है. वर्तमान में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में चार साल से कम उम्र के कितने बच्चों की मौत हुई, इसका कोई सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. सेफ्टी हार्नेस बच्चे द्वारा पहना जाने वाला एक बनियान है, जो बनियान से जुड़ी पट्टियों की एक जोड़ी और ड्राइवर द्वारा पहने जाने वाले शोल्डर लूप्स के साथ एडजस्टेबल होगा. इस तरह बच्चे के ऊपरी धड़ को ड्राइवर से सुरक्षित रूप से जोड़ा जा सकता है. सेफ्टी हार्नेस की एक विशेषता यह भी है कि पट्टियों को बनियान के पीछे से जोड़कर और पट्टियों को बनियान के ऊपर से पार करके दो बड़े क्रॉसिंग-ओवर लूप बनते हैं, जो यात्री के पैरों के बीच से गुजरते हैं और दुपहिया की सीट पर बैठा बच्चा सुरक्षित रहता है.