Income Tax: आय कर से जुड़े इन नियमों में बदलाव, जानें- आपके जीवन पर कितना पड़ेगा फर्क
एक असेसमेंट वर्ष के अंत के 2 वर्षों के भीतर एक अपडेटेड रिटर्न दाखिल की जा जा सकती है. उदाहरण के लिए, यदि आप वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुछ आय की घोषणा करने से चूक जाते हैं, तो यह असेसमेंट...
highlights
- सरकार ने लोकसभा में पेश किया संसोधन बिल
- आय कर से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव
- क्रिप्टो फायदा-नुकसान का नहीं होगा समायोजन
नई दिल्ली:
आय कर जुड़े कानून में केंद्र सरकार ने बदलाव किये हैं. सरकार ने बजट 2022 में लागू किए गए कुछ नियमों में संसोधन को लेर बिल लोकसभा में पेश किया है. इसके मुताबिक अब आय कर दाता लॉस रिटर्न को भी अपडेट कर सकेंगे. वहीं, आयकर विभाग (Income tax department) को असेसमेंट वर्ष 2020-21 के लिए असेसमेंट पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय भी मिल गया है. पहले असेसमेंट 31 मार्च 2022 तक पूरा किया जाना था, जिसकी समय सीमा अब 30 सितंबर 2022 कर दी गई है.
सरकार ने किया बजट से जुड़े बिल में संसोधन
आम जनता और विशेषज्ञों से मिली प्रतिक्रियाओं के बाद आमतौर पर सरकार बजट प्रपोजल्स में संसोधन करती है और इन्हें लोकसभा में पेश किया जाता है. विशेषज्ञों का कहना है गुरुवार को पेश किए बजट संसोधन, इनकम टैक्स से संबंधित होने के कारण आम जनता के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसमें अपडेटेड रिटर्न का प्रावधान बेहद महत्वपूर्ण है. यह उन आय कर दाताओं के लिए है जो कुछ आय की घोषणा करने से चूक गए हैं. एक असेसमेंट वर्ष के अंत के 2 वर्षों के भीतर एक अपडेटेड रिटर्न दाखिल की जा जा सकती है. उदाहरण के लिए, यदि आप वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुछ आय की घोषणा करने से चूक जाते हैं, तो यह असेसमेंट वर्ष 2022-23 में तब्दील हो जाता है. नए प्रावधानों के अनुसार आप वित्त वर्ष 2024-25 तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं. इसके अलावा लॉस रिटर्न भी फाइल करने का मौका आय कर दाताओं को मिलेगा.
क्या है लॉस रिटर्न?
लोकसभा में गुरुवार को पेश किए गए संसोधन के बाद अब इस सुविधा को लॉस रिटर्न के लिए भी शुरू कर दिया गया है. एक लॉस रिटर्न वह है जहां नेट लॉस घोषित किया जाता है और कोई कर देय नहीं होता है. अपडेटेड रिटर्न वह रिटर्न है जो आप किसी असेसमेंट वर्ष के दो साल के भीतर दायर की जाती है. अपडेटेड रिटर्न में आप उन उस इनकम को शामिल करते हैं जिन्हें आप पहले आईटीआर में शामिल करना भूल गए थे और इस पर आपको टैक्स और पेनल्टी, दोनों देनी होती है. बैंगलुरू के चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रकाश हेगड़े ने लाइव मिंट को बताया कि संशोधित वित्त विधेयक उन व्यक्तियों को अनुमति अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की इजाजत देता है जिन्होंने लॉस रिटर्न दाखिल की थी.
क्रिप्टो लॉस को गेन में समायोजित नहीं कर पाएंगे
वित्त विधेयक के संसोधन पेश करते समय सरकार ने स्पष्ट किया कि एक क्रिप्टोकरेंसी में हुई हानि को दूसरी क्रिप्टो में हुए लाभ से सेट ऑफ नहीं किया जा सकता. उदाहरण के लिए अगर आपको बिटकॉइन से 100 रुपये का लाभ होता है इथेरियम में 70 रुपये की हानि होती है तो आपको 100 रुपये के लाभ पर ही टैक्स देना होगा न की आपको अपने 30 रुपये के शुद्ध लाभ पर. टैक्स की यह दर सरचार्ज और सेस को छोड़कर 30 फीसदी है. यही नहीं आप क्रिप्टोकरेंसी में हुए लाभ और हानि को शेयर, म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट जैसी अन्य एसेस्ट से हुए लाभ या हानि में भी समायोजित नहीं कर सकेंगे.
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