खुशखबरीः अब हर रोज 100 SMS से कर सकेंगे ज्यादा, 50 पैसे शुल्क खत्म करने का प्रस्ताव
दूरसंचार क्षेत्र की नियामक संस्था ट्राई (TRAI) ने दैनिक 100 एसएमएस (SMS) के ऊपर भेजे जाने वाले प्रत्येक एसएमएस पर 50 पैसे की तय दर से लिये जाने वाले शुल्क को वापस लेने का प्रस्ताव किया है.
highlights
- सुझाव-टिप्पणियां देने के लिये तीन मार्च अंतिम तिथि.
- 17 मार्च जवाबी टिप्पणी के लिये अंतिम तिथि होगी.
- 2023 तक इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या 90.7 करोड़.
नई दिल्ली:
दूरसंचार क्षेत्र की नियामक संस्था ट्राई (TRAI) ने दैनिक 100 एसएमएस (SMS) के ऊपर भेजे जाने वाले प्रत्येक एसएमएस पर 50 पैसे की तय दर से लिये जाने वाले शुल्क को वापस लेने का प्रस्ताव किया है. ट्राई ने नवंबर 2012 को जारी आदेश में अनचाहे संदेशों की समस्या को दूर करने के लिये न्यूनतम 50 पैसे का शुल्क अधिसूचित किया था. ट्राई ने टेलिकम्युनिकेशन टैरिफ (65वें संशोधन) आदेश 2020 के मसौदे में कहा है, टेलिकॉम कॉमर्शियल कम्युनिकेशन कस्टमर प्रीफेरेंस रेगुलेशन 2018 को प्रारम्भ करने के साथ यह महसूस किया गया कि एसएमएस के लिये नियमन शुल्क की जरूरत नहीं रह गई है.
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सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी
इस बात को ध्यान में रखते हुये टेलिकम्युनिकेशन टैरिफ (65वां संशोधन) आदेश 2020 का मसौदा इससे पहले टेलिकम्युनिकेशन टैरिफ (54वें संशोधन) आदेश में शुरू किये गये एसएमएस शुल्क से जुड़े नियामकीय प्रावधानों को वापस लेने का प्रस्ताव करता है. ट्राई ने 65वें संशोधन के मसौदे पर सभी संबद्ध पक्षों से उनके सुझाव और टिप्पणियां देने के लिये तीन मार्च अंतिम तिथि रखी है जबकि 17 मार्च जवाबी टिप्पणी के लिये अंतिम तिथि होगी. यानी अगर भारी विरोध नहीं हुआ तो हर रोज उपभोक्ता 100 से ज्यादा एसएमएस कर सकेंगे, वह भी मुफ्त.
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2023 तक इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले हो जाएंगे 90 करोड़
प्रौद्योगिकी कंपनी सिस्को ने मंगलवार को कहा कि 2023 तक इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ कर 90.7 करोड़ तक पहुंच जाएगी. वर्ष 2018 में देश में 39.8 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे थे. सिस्को की एक रपट में कहा गया है कि 2023 तक देश में इंटरनेट से जुड़े उपकरण 2.1 अरब तक पहुंच जाएंगे. इसमें से एक चौथाई मशीन से मशीन (एम2एम) माड्यूल वाले यंत्र होंगे. रपट के अनुसार उस समय तक देश में मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या 96.6 करोड़ हो जाएगी जो कुल आबादी का 68 प्रतिशत है. 2018 में यह संख्या 76.3 करोड़ (56 प्रतिशत) थी.
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