भविष्यनिधि के दिसंबर 2020 के पैरोल डाटा में 12.54 लाख ग्राहक और जुड़े
कर्मचारी भविष्यनिधि से बड़ी खुशखबरी है ईपीएफओ की संख्या को लेकर आज दिसंबर 2020 का डाटा पब्लिश किया गया. इसमें है तो देखने में आया कि दिसंबर 2020 में कर्मचारी भविष्यनिधि के पैरोल डाटा में 12.54 लाख नए ग्राहक और जुड़ गए हैं.
नई दिल्ली:
कर्मचारी भविष्यनिधि से बड़ी खुशखबरी है ईपीएफओ की संख्या को लेकर आज दिसंबर 2020 का डाटा पब्लिश किया गया. इसमें है तो देखने में आया कि दिसंबर 2020 में कर्मचारी भविष्यनिधि के पैरोल डाटा में 12.54 लाख नए ग्राहक और जुड़ गए हैं. आपको बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया में कंपनियां लोगों को नौकरियों से निकाल रहीं थी तब ऐसे समय में अगर भारत में इस आंकड़े का आना बड़ी उपलब्धि है. आपको बता दें कि इस महामारी में बहुत सी कंपनियां बंद हो गईं और बहुत से लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा.
आपको बता दें कि भवन निर्माण में लगे मजदूर, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, टमटम कर्मी और प्लेटफार्म कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों में बदलाव होगा. इसमें कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, ग्रेच्युटी व मातृत्व लाभ से जुड़े बदलाव शामिल हैं. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 पर मसौदा अधिनियम को अधिसूचित किया. किसी भी पक्ष को इसके संबंध में कोई आपत्ति या सुझाव है तो उन्हें आमंत्रित किया गया है. अगर किसी को कोई आपत्ति है या कोई इस मसौदे पर अपने सुझाव देना चाहता है तो अधिनियम मसौदा की अधिसूचना के 45 दिन के भीतर उसे भेज सकता है.
इन नियमों में ऐसे मजदूरों के लिए भी ग्रेच्युटी के प्रावधान किए गए हैं. इन नियमों में उपलब्ध प्रावधान से किसी प्रतिष्ठान के लिए एकल इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण कराना होगा, जिसमें व्यावसायिक गतिविधियों के बंद होने की स्थिति में पंजीकरण का निरस्तीकरण भी शामिल है.
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बताया था कि, ईपीएफओ और ईएसआईसी के दायरे से किसी व्यवसायिक प्रतिष्ठान के बाहर होने के संबंध में नियम और शर्तों के भी प्रावधान इसमें किए गए हैं. भवन निर्माण या अन्य निर्माण कर्मियों के लिए सेस का भुगतान और स्वत आंकलन की प्रक्रिया को इन नियमों में विस्तार से उल्लेखित किया गया है. स्व आकलन के उद्देश्य से रोजगार प्रदाता को राज्य के लोक निर्माण विभाग या केंद्रीय लोक निर्माण विभाग या रियल स्टेट नियामकप्राधिकरण को जमा कराए गए दस्तावेज या रिटर्न के आधार पर निर्माण लागत की गणना करनी होगी.
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