EPF ब्याज दर को लेकर चल रही खबरें निकली फर्जी, ये है नई दर
EPFO Interest Rate: ईपीएफओ बोर्ड ने 2020- 21 के लिए ईपीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज देने की सिफारिश की है. वित्त वर्ष 2019-20 में भी 8.5 फीसदी ब्याज दिया गया था. आज (गुरुवार-4 मार्च 2021) को हुई EPFO सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में यह फैसला लिया गया है.
highlights
- ईपीएफओ बोर्ड ने 2020- 21 के लिए ईपीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज देने की सिफारिश की है
- श्रीनगर में हुई EPFO सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में यह फैसला लिया गया
नई दिल्ली:
EPFO Interest Rate: वित्त वर्ष 2020-2021 में ईपीएफ (EPF) पर मिलने वाले ब्याज दर किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है. ईपीएफओ बोर्ड ने 2020- 21 के लिए ईपीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज देने की सिफारिश की है. वित्त वर्ष 2019-20 में भी 8.5 फीसदी ब्याज दिया गया था. आज (गुरुवार-4 मार्च 2021) श्रीनगर में हुई EPFO सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में यह फैसला लिया गया है. बता दें कि मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि सरकार EPF पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में काफी बड़ी संख्या में लोगों ने EPF से निकासी की थी. इसके अलावा इस दौरान अंशदान (PF Contribution) में भी गिरावट दर्ज की गई थी.
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2020 में घटाकर कर दिया था सात साल का सबसे कम ब्याज
ईपीएफओ ने मार्च 2020 में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर घटाकर 8.5 प्रतिशत की थी. पिछले 7 सालों में यह सबसे कम ब्याज है. इससे पहले 2012-13 में ब्याज दरें 8.5 प्रतिशत पर थीं. वित्त वर्ष 2018-19 में पीएफ जमा पर सब्सक्राइबर्स को 8.65 प्रतिशत ब्याज मिला था. सब्सक्राइबर्स को ईपीएफओ ने 2016-17 के लिए पीएफ जमा पर 8.65 प्रतिशत, 2017-18 के लिए 8.55 प्रतिशत और 2015-16 के लिए 8.8 प्रतिशत ब्याज दिया था. वहीं, 2013-14 में पीएफ जमा पर 8.75 प्रतिशत का ब्याज मिलता था, जो वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 8.5 प्रतिशत से अधिक था.
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वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भविष्य निधि पर ब्याज दर था 8.5 फीसदी
बता दें कि ईपीएफओ (EPFO) के ट्रस्टी केई रघुनाथन ने सीबीटी की अगली मीटिंग (CBT Metting) 4 मार्च को श्रीनगर में होने की जानकारी दी थी. हालांकि उन्होंने कहा था कि बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भविष्य निधि पर ब्याज दर 8.5 प्रतिशत थी. माना जा रहा था कि कोरोना वायरस महामारी के संकट के बीच पीएफ से ज्यादा निकासी और कम कंट्रीब्यूशन की वजह से ब्याज घटाने का फैसला लिया जा सकता है.
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