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दिल्ली आने वाले हो जाएं सावधान, राजधानी में आज से नहीं घुसेंगे ऐसे वाहन...पढ़ें एडवाइजरी

Delhi Air Pollution: दिल्ली में तेजी से साथ बढ़ते वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए राजधानी में प्रवेश करने वाले ऐसे वाहनों पर आज से रोक लगा दी है

Updated on: 01 Nov 2023, 08:10 AM

New Delhi:

Delhi Air Pollution: देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से लगातार बिगड़ रहे हालात ने पब्लिक और सरकार दोनों को चिंता में डाल दिया है. यही वजह है कि सरकार ने प्रदूषण पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए हैं. पॉल्यूशन कंट्रोल की दिशा में  सरकार की तरफ से उठाए गए कदम के तहत दिल्ली में आज से एनसीआर से आने वाले वाली पुरानी बसों की एंट्री पूरी तरह से बैन कर दी गई है. कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी एंड मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने साफ कर दिया है कि इसकी टाइमलाइन को और आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. इस फैसले का उदेश्य एनसीआर से दिल्ली आने वाली बीएस-3 और बीएस-4 डीजल बसों पर रोक लगाना है. सरकार के इस फैसले से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. 

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दिल्ली में अब केवल ऐसे वाहन ही चलेंगे

दरअसल, एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए दिल्ली में अब केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 डीजल बसों का संचालन किया जाएगा. माना जा रहा है कि सरकार का फैसला का प्रभाव उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के दिल्ली से सटे शहरों पर देखने को मिलेगा. आपको बता दें कि दिल्ली के प्रयावरण मंत्री गोपाल राय ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि दिल्ली में इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहन चलते हैं. ऐसे में राजधानी में वायु प्रदूषण दिल्ली के वाहनों से नहीं, बल्कि दिल्ली से सटे राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा) से आने वाली डीजल बसों से फैल रहा है. इससे पहले सीएक्यूएम ने स्पष्ट कर दिया था कि दिल्ली में एक नवंबर से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 अनुपालक डीजल बसों को संचालन को ही अनुमति होगी. इस नियम के दायरे में सरकारी और प्राइवेट दोनों बसें आती हैं. 

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सरकारी के साथ हजारों प्राइवेट बसों पर भी लगेगी रोक

परिवहन विभाक की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, राजस्थानस उत्तराखंड और हरियाणा परिवहन विभाग की बहुत सारी बसें रोजाना दिल्ली के लिए चलती हैं. इसके साथ ही दिल्ली के लिए रोजाना हजारों की संख्या में प्राइवेट बसें भी निकलती हैं. यही वजह है कि प्राइवेट बसों के मालिकों ने सरकार के इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है. बस मालिकों का मत है कि बढ़ते प्रदूषण के लिए केवल बसों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. इसके लिए अन्य वाहन भी जिम्मेदार हैं.