CAA: नागरिकता कानून के बाद किसे दिखाने होंगे कागज, जानें आम लोगों पर क्या पड़ेगा असर
CAA: जब से देश में नागरिकता कानून लागू हुआ है, तभी से लोगों के मन में कई कंफ्यूजन है. कुछ लोग भारत के होकर भी डर रहे कि अब उन्हें कागज दिखाने होंगे. ऐसे लोगों का कंफ्यूजन दूर करने के लिए..
highlights
- हाल ही में सरकार ने लागू कर दिया नागरिकता कानून
- कई लोगों के मन में अभी भी कंफ्यूजन, आखिर किसे दिखाने होंगे कागज
- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग नागरिकता के लिए कर सकते हैं आवेदन
नई दिल्ली :
Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) देश में लागू हो चुका है. ऐसे में कुछ लोगों के मन में कंफ्यूजन है कि आखिर कागज किसे दिखाने पड़ेंगे. इस बिल का लागू होना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि किसी भी दिन लोकसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है. इस आर्टिकल के माध्यम से लोगों का कंफ्यूजन दूर करने की कोशिश की गई है. क्योंकि कई मुस्लिम काफी डर के साये में हैं कहीं उनकी नागरिकता न चली जाए. ऐसे में सरकार ने साफ किया है कि ये कानून नागरिकता लेने का नहीं बल्कि देने का है...
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क्या सभी को दिखाने होंगे कागज?
जब से नागरिकता कानून लागू हुआ है तब से खासकर मुस्लिम धर्म के लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि क्या सभी को कागज दिखाने होंगे. इसका जवाब है कि भारत में रहने वाले लोगों पर इस कानून का कोई भी असर नहीं पड़ने वाला है. ये कानून सिर्फ उन लोगों के लिए है, जो दूसरे देशों से भारत आकर बस गए हैं. भारत में रहने वाले लोगों को संविधान के तहत नागरिकता का अधिकार है. उनकी कोई भी नागरिकता नहीं छीन रहा है. साथ ही कई धर्म के लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता प्रदान की जाएगी.
इन्हें मिलेगी नागरिकता
नागरिकता कानून किसी की भी नागरिकता छीनने के लिए नहीं बल्कि देने के लिए लाया गया है. इसलिए किसी को डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. अब बात कर लेते हैं किन्हें इस कानून के तहत नागरिकता मिलेगी. जानकारी के मुताबिक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. ऐसे ही तमाम शरणार्थियों के लिए नागरिकता कानून लाया गया. जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे. यदि कोई भी उक्त धर्मों का व्यक्ति पांच सालों से भारत में रह रहा है तो उसे नागरिकता दी जाएगी.
क्या है विवाद?
दरअसल सीएए के तहत मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं रखा गया है. यही विवाद है जिसको नेता लोग सड़क से लेकर संसद तक उठाते हैं. खासकर मुस्लिम धर्म की पैरवी करने वाले लोग इस मुद्दे को बार-बार उठाते हैं. यही विवाद की असली जड़ है. प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना है कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में किसी एक समुदाय को छोड़ने वाला कानून नहीं लाया जाना चाहिए. तो आपको बता दें कि मुस्लिम समुदाय के लोग भारत में शरण लेने के 11 साल बाद नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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