logo-image

LIC के पॉलिसीधारकों के लिए बड़ी राहत, किसी भी एलआईसी कार्यालय में कर सकते हैं मैच्योरिटी का दावा

एक बयान में कहा गया है कि एलआईसी (LIC) ने अपने 113 मंडल कार्यालयों, 2,048 शाखाओं, 1,526 उपग्रह कार्यालयों और 74 ग्राहक क्षेत्रों को पॉलिसीधारकों से परिपक्वता दावों के दस्तावेज प्राप्त करने की अनुमति दी है, जिनकी परिपक्वता भुगतान देय है.

Updated on: 19 Mar 2021, 09:16 AM

highlights

  • देश में कहीं भी अपने निकटतम एलआईसी कार्यालय में परिपक्वता दावा दस्तावेज जमा करने की अनुमति मिली
  • दस्तावेजों को डिजिटल रूप से एलआईसी के ऑल इंडिया नेटवर्क के माध्यम से स्थानांतरित किया जाएगा

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) के कारण होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए बीमा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एलआईसी (LIC) ने अपने पॉलिसीधारकों को देश में कहीं भी अपने निकटतम एलआईसी कार्यालय (LIC Office) में परिपक्वता दावा (मैच्योरिटी क्लेम) दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी है. एक बयान में कहा गया है कि एलआईसी ने अपने 113 मंडल कार्यालयों, 2,048 शाखाओं, 1,526 उपग्रह कार्यालयों और 74 ग्राहक क्षेत्रों को पॉलिसीधारकों से परिपक्वता दावों के दस्तावेज प्राप्त करने की अनुमति दी है, जिनकी परिपक्वता भुगतान देय है. हालांकि, वास्तविक दावा भुगतान केवल सर्विसिंग शाखा द्वारा संसाधित किया जाएगा. दस्तावेजों को डिजिटल रूप से एलआईसी के ऑल इंडिया नेटवर्क के माध्यम से स्थानांतरित किया जाएगा. बयान के अनुसार, यह सुविधा केवल 31 मार्च, 2021 तक तत्काल प्रभाव से परीक्षण के आधार पर उपलब्ध है.

यह भी पढ़ें: PM Kisan Samman Nidhi: जल्द जारी हो सकते हैं आठवीं किस्त के 2 हजार रुपये

देश में 59 फीसदी नियोक्ता घर से काम किए जाने के पक्ष में नहीं : सर्वे

कोरोनावायरस महामारी के चलते दफ्तर से काम करने की संस्कृति प्रभावी होने के बाद अब एक नया सर्वे आया है, जिससे पता चलता है कि भारत में 59 प्रतिशत नियोक्ता घर से काम करने के पक्ष में नहीं हैं. जॉब साइट 'इनडीड' के एक सर्वे के मुताबिक, 67 प्रतिशत बड़ी और 70 प्रतिशत मध्य आकार की भारतीय कंपनियां महामारी के बाद के हालात में घर से काम करने के पक्ष में नहीं हैं. यहां तक कि डिजिटल स्टार्टअप कंपनियों ने भी संकेत दिए हैं कि वे ऑफिस कल्चर के पक्ष में हैं. इस तरह की 90 प्रतिशत कंपनियां महामारी के बाद ऑफिस कल्चर में वापस लौटना चाहते हैं। उनका कहना है कि महामारी समाप्त होने के बाद वो घर से काम जारी रखना पसंद नहीं करेंगे.

'इनडीड इंडिया' के प्रबंध निदेशक, शशि कुमार ने एक बयान में कहा, "दूर बैठकर काम किए जाने से कंपनियों को अपने काम के मॉडल को फिर से संगठित करने के लिए बाध्य होना पड़ा है. यह कर्मचारियों की उत्पादकता को नई अवधारणाओं के अनुकूल बनाने के लिए प्रेरित करता है. 45 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों ने यह भी कहा कि रिवर्स माइग्रेशन अस्थायी है और 50 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि वे नौकरी के लिए अपने मूल स्थान से वापस बड़े शहरों में जाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने घर से काम (डब्ल्यूएफएच) की उपलब्धता का विकल्प (29 प्रतिशत) और महामारी को नियंत्रण में लाने (24 प्रतिशत) जैसे भविष्य के पहलुओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. केवल 9 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने मूल स्थानों पर हमेशा के लिए रहना पसंद करेंगे.

यह भी पढ़ें: रिलायंस जियो (Reliance Jio) के इन प्रीपेड प्लान्स में मिल रहा है बंपर इंटरनेट डेटा

सर्वे में 1200 कर्मचारी और 600 नियोक्ता शामिल हैं. केवल 32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगर उनको अपने मूल स्थान पर काम मिलता है तो वे वेतन कटौती के लिए तैयार हैं. अपने गृहनगर से काम करने के लिए वेतन में कटौती की इच्छा हाइरैरकी (ऊपर से नीचे) के साथ कम हो जाती है - 88 प्रतिशत वरिष्ठ-स्तर के कर्मचारियों का कहना है कि वे वेतन में कटौती करने के लिए तैयार नहीं हैं और 50 प्रतिशत ने कहा कि कि अगर उन्हें नौकरी मिल जाती है तो वे वापस बड़े शहर में चले जाएंगे. महामारी ने नौकरी की संभावनाओं के मामले में सन् 2000 के आसपास पैदा होने वाले लोगों की तुलना में 60 के दशक में पैदा होने वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित किया है. ऐसे ज्यादातर लोगों का कहना है कि उनके मूल स्थान पर नौकरी ढूंढना मुश्किल होगा. ऐसे 61 प्रतिशत लोग अपने गृहनगर से काम करने के लिए वेतन में कटौती करने के लिए तैयार नहीं हैं.
इनपुट आईएएनएस