logo-image

6 करोड़ लोगों के लिए बड़ी खबर! आज तय हो सकती है पीएफ पर ब्याज दरें

EPF interest rates: केंद्र सरकार आज देश के 6 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़ा फैसला लेने जा रही है. सरकार आज पीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दरें घोषित कर सकती है. 

Updated on: 04 Mar 2021, 08:43 AM

नई दिल्ली:

EPF interest rates: देश के करीब 6 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के लिए केंद्र सरकार आज बड़ा फैसला ले सकती है. सरकार आज प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) पर मिलने वाले ब्याज की दरें तय कर सकती है. कर्मचारियों को इसका इंतजार है कि सरकार उनके पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती करती है या बढ़ोतरी. EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की चार मार्च को श्रीनगर में बैठक हो रही. इस बैठक में वित्त वर्ष वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पीएफ पर मिलने वाले इंटरेस्ट रेट्स की घोषणा हो सकती है. माना जा रहा है कि इस साल लोगों को झटका लग सकता है.

यह भी पढ़ेंः मोदी सरकार ने दिव्यांगों की मदद के लिए उठाया बड़ा कदम, लॉन्च किया सुगम्य भारत ऐप

सरकार कर सकती है कटौती
सूत्रों का कहना है कि सरकार वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मिलने वाले पीएफ ब्याज दरों में कटौती कर सकती है. सरकार देश में कोरोना के बाद पैदा हुए हालात को देखते हुए फैसला ले सकती है. दरअसल वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दरें 8.5 फीसदी थी. देश में कोरोना महामारी के बाद आर्थिक स्थिति में गिरावट के बाद संभावना है कि सरकार ब्याज दरों में कटौती कर सकती है.

यह भी पढ़ेंः फास्टैग (FASTag) से पेट्रोल-डीजल और CNG भी भरवा सकेंगे, मोदी सरकार ने बनाई योजना

2012-13 के बाद है निचला स्तर
आपको बता दें कि 2019-20 के लिए PF पर मिलने वाली ब्याज दर 2012-13 के बाद का यह सबसे निचला स्तर है. 2018-19 में EPFO ने सब्सक्राइबर्स को 8.65 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान किया था. दरअसल ईपीएफओ द्वारा हर साल ब्याज दरों की घोषणा की जाती है. उसे के हिसाब से उपभोक्ताओं को ब्याद की जाती है. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दरों की घोषणा करते हुए बोर्ड ने कहा था कि वह 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में दो किस्तों में 8.5 फीसदी ब्याज का भुगतान करेगा. 

यह भी पढ़ेंः रेल यात्री कृपया ध्यान दें, मुंबई में कुछ स्टेशनों पर 50 रुपये में मिलेगा प्लेटफॉर्म टिकट

अब तक कितनी रही हैं पीएफ पर ब्याज दरें-
2019-20 - 8.5 फीसदी
2018-19 - 8.65 फीसदी
2017-18 - 8.55 फीसदी
2016-17 - 8.65 फीसदी
2015-16 - 8.8 फीसदी
2013-14 - 8.75 फीसदी