पिछले 4 साल में इन बड़ी घटनाओं के बाद ATM पर लगीं लंबी कतारें, अब Yes Bank भी बर्बादी की कगार पर
15 साल पहले शुरू हुआ देश के चर्चित निजी बैंकों में शामिल यस बैंक (Yes Bank) पूरी तरह बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है.
नई दिल्ली:
15 साल पहले शुरू हुआ देश के चर्चित निजी बैंकों में शामिल यस बैंक (Yes Bank) पूरी तरह बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को बैंक के ग्राहकों के लिए 50 हजार रुपये निकासी की सीमा तय कर दी. इसके बाद देश में यस बैंक के एटीएम (ATM) और ब्रांच पर लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई हैं. नोटबंदी में भी ऐसे हालात बने थे जब एटीएम के सामने लोगों की भारी भीड़ लगी थी. हम यहां आपको बता दें कि नोटबंदी और यस बैंक के कैश संकट के बीच किस-किस बैंक में कैश के किल्लत स्थिति बनी.
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यस बैंक से पहले कुछ और बैंकों पर सख्ती बढ़ा दी थी. बीते साल केंद्रीय बैंक ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) पर 6 महीने की पाबंदी लगा दी थी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सिंतबर 2019 में यह कार्रवाई बैंकिग रेगुलेशन एक्ट 1949 के सेक्शन 35ए के तहत की थी. आरबीआई के फैसले के बाद पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों की मुसीबत बढ़ गई थी. बैंक के ग्राहक 6 महीने से एक हजार रुपये से अधिक पैसा नहीं निकाल सकते हैं.
बेंगलुरु स्थित श्रीगुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक पर भी कई तरह की रोक लगी थी. इस सख्ती से ग्राहकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था. आरबीआई (RBI) ने लेनदेन में कथित अनियमितताओं को लेकर श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक पर प्रभाव से बैन लगा दिया था. इस बैंक को किसी भी तरह का लोन नहीं दिया जा सकेगा. वहीं, इस बैंक के ग्राहक 35,000 रुपये तक निकाल सकेंगे. यह पाबंदी जनवरी 2020 में 6 महीनों के लिए लगी है.
आरबीआई ने कोलकाता स्थित 'कोलिकाता महिला कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड' पर भी नकद की निकासी और अन्य प्रतिबंधों को लगाया था. यह प्रतिबंध 10 जनवरी 2020 से 9 जुलाई 2020 तक प्रभावी रहेंगे. पिछले साल 9 जुलाई 2019 को आरबीआई ने इस बैंक पर छह महीने के लिए पाबंदी लगाई थी. इसकी समय सीमा नौ जनवरी 2020 को खत्म हो गई थी.
8 नवंबर 2016 को हुआ था नोटबंदी
8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था. नोटबंदी का सबसे अधिक प्रभाव उन उद्योगों पर पड़ा था, जो ज्यादातर कैश में लेन-देन करते थे. इसमें अधिकतर छोटे उद्योग शामिल होते थे. नोटबंदी के दौरान इस वजह से नकद की किल्लत हो गई थी, जिससे देशभर के बैंक और एटीएम के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लग गई थीं.
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