किसान आंदोलन के बीच हवाई यात्रियों को लगा बड़ा झटका, 4 गुना तक बढ़ गया किराया
लुधियाना से दिल्ली का किराया 2,500 रुपये से बढ़कर 5,715 रुपये और अमृतसर से दिल्ली का हवाई किराया 3,000 रुपये से बढ़कर 8,155 रुपये प्रति यात्री हो गया है.
नई दिल्ली:
कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन का असर हवाई किराये (Air Fare) पर भी पड़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है. 1 दिसंबर 2020 के लिए 4 गुना तक हवाई किराये बढ़ गए हैं. चंडीगढ़ से दिल्ली का किराया बढ़कर 10 हजार रुपये प्रति यात्री पहुंच गया है जो कि पहले 2,500 रुपये था. इसी तरह लुधियाना से दिल्ली का किराया 2,500 रुपये से बढ़कर 5,715 रुपये और अमृतसर से दिल्ली का हवाई किराया 3,000 रुपये से बढ़कर 8,155 रुपये प्रति यात्री हो गया है.
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कृषि मंत्री ने किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह मंगलवार को ही बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. गौरतलब है कि हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले पांच दिनों से धरने पर हैं. केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया. इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा. तोमर ने कहा, ''कोरोना वायरस महामारी एवं सर्दी को ध्यान में रखते हुये हमने किसान यूनियनों के नेताओं को तीन दिसंबर की बैठक से पहले ही चर्चा के लिये आने का न्यौता दिया है.
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उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में दोपहर बाद तीन बजे बुलायी गयी है। उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है. इस बीच कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को पत्र लिख कर एक दिसंबर को चर्चा के लिये आमंत्रित किया है. अग्रवाल ने जिन संगठनों को पत्र लिखा है उनमें क्रांतिकारी किसान यूनियन, जम्मुहारी किसान सभा, भारतीाय किसान सभा (दकुदा), कुल हिंद किसान सभा और पंजाब किसान यूनियन शामिल हैं. इससे पहले 13 नवंबर को हुयी बैठक बेनतीजा रही थी और केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों को तीन दिसंबर को दूसरे दौर की बातचीत के लिये आमंत्रित किया था ताकि तीन नये कृषि कानूनों से उपजी उनकी चिंताओं का निराकरण किया जा सके. (इनपुट भाषा)
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