Credit Guarantee Scheme: वैसे तो मोदी सरकार ने किसानों के लिए कई बड़ी और बेहतरीन योजनाएं पहले से ही चलाई हुई हैं, जिसका फायदा यहां पर देश भर के किसानों को मिलता भी आ रहा है. लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लिए अब एक और बड़ी योजना शुरू कर दी है. देखिए यह योजना किसानों को फसल कटाई के बाद कर्ज देने से जुड़ी हुई है. क्योंकि कर्ज जो है वह आज भी किसानों के लिए काफी हद तक एक बहुत बड़ी चुनौती और समस्या बनकर सामने आ ही जाती है. पर इस समस्या का समाधान भी देखिए... अब मोदी सरकार की इस नई योजना के जरिए जल्द ही निपटने वाला है. अगर आप भी किसान हैं या फिर किसानी के किसी भी तरह से जुड़े हुए हैं तो यह योजना आपके लिए काफी फायदेमंद और काम की साबित हो सकती है.
क्या है पूरी योजना
केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने 16 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक वेयर हाउस रसीद का लाभ उठाकर किसानों को फसल कटाई के बाद कर्ज उपलब्धता में सुगमता का जो रास्ता है वह और आसान कर दिया. इसे सुनिश्चित करने को हजार करोड़ रुपए की कर्ज गारंटी योजना शुरू की है. इस योजना का मकसद भंडार गिरी विकास और नियामक प्राधिकरण यानी कि डब्ल्यूडीटीटी द्वारा जारी इलेट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद यानी कि ईनडब्ल्यूआर के बदले कर्ज देने में बैंकों की जो उनकी अरुचि सामने आती है उसे कम करना है. योजना का शुभारंभ हो चुका है और इस योजना के शुभारंभ पर मंत्री ने कहा कि हमने हजारों करोड़ रुपए का एक कोष प्रदान किया है. इसका मकसद इसका उद्देश्य बैंकों को उदार नजरिए के साथ कर्ज देने के लिए बढ़ावा देना है यानी कि प्रोत्साहित करना है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने विस्तार से बताया कि महत्त्वपूर्ण संभावनाएं यहां पर किस तरह से सामने आती हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में यानी कि मौजूदा वक्त में फसल के बाद का कर्ज 2 लाख करोड़ रुपए के कुल कृषि कर्ज से में से मात्र 40000 करोड़ रुपए है. क्योंकि इन आंकड़ों के जरिए अगर आप समझेंगे तो मोदी सरकार किस नई योजना को जो कि सीधे-सीधे किसानों के फायदे उनके हित के लिए बनी है और बेहतरीन तरीके से समझेंगे.
4000 करोड़ रुपए व्यवस्था
वर्तमान में ईएनडब्ल्यूआर के तहत कर्ज मात्र 4000 करोड़ रुपए है. हम आपको बता रहे हैं वहीं पर उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद कि अगले 10 साल में फसल के बाद के कामकाज के लिए कर्ज बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा. उन्होंने इस बात पर फोकस भी किया बैंकिंग और वेयर हाउसिंग क्षेत्रों के मिले-जुले प्रयासों से मिली जुली कोशिशों से यह लक्ष्य यह टारगेट हासिल भी किया जा सकता है. यानी कहने का मतलब यह था कि यह सिर्फ हवा-हवाई योजना नहीं है. यह सिर्फ कहने भर की टारगेट या लक्ष्य तय नहीं किया गया है. बल्कि यह असल यानी कि जमीनी तौर पर मुमकिन भी है.