Utility News: अभी कुछ दिन पहले ही एक फेयरनेस क्रीम बनाने वाली नामी कंपनी पर एक उपभोक्ता फोरम ने 15 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया था. एक शख्स की तहरीर पर ये एक्शन लिया गया था. युवक का कंपनी पर आरोप था कि चेहरे को गोरा बनाने के लिए कंपनी का बनाया गया प्रोडक्ट 'फेयर एंड हैंडसम' के दावे भ्रामक हैं. शिकायतकर्ता की पहचान निखिल जैन के रूप में हुई , जो 35 साल के हैं और पेशे से एक बैंकर हैं. हालांकि, निखिल को इस मामले में जीत हासिल करने के लिए 12 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थई. अब ऐसे में आपके भी मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर कैसे निखिल जैन ने अपनी आवाज उठाई और कैसे उन्हें जीत मिली...
ये हैं आपके अधिकार
बता दें कि अगर आपको अपनी सुरक्षा अधिकार के बारे में मालूम है तो आप बाजार में मिलने वाले खतरनाक सामानों से खुद को बचा सकते हैं. यहां दुकानदार और कंपनियों को ऐसी किसी चीज को बेचने का अधिकार नहीं है, जिससे आपको कोई नुकसान पहुंचे. इसके लिए आपको बस अच्छे सामान की पहचान के लिए ISI, AGMARK, FPO जैसे निशान देखने होंगे. जानकारी के अधिकार के तहत आप जो भी सामान खरीद रहे हैं उसके बारे में जानकारी मांगने का भी अधिकार है. ये जानकारी सामान के दाम, मात्रा, गुणवत्ता, बनाने की तारीख और एक्सपायरी डेट हो सकती है.
कितना पावरफुल है शिकायत का अधिकार
वहीं अगर शिकायत करने के अधिकार की बात करें तो इसके तहत आपको किसी भी सामान या सेवा से कोई परेशानी हो तो आप उसकी संबंधित विभाग में जाकर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. वहीं हर्जाना पाने के अधिकार के तहत यदि आपका कोई अधिकार छीना जाता है, तो आपको हर्जाना यानी मुआवजा मिलने का भी प्रवाधान होता है. जागरूक उपभोक्ता बनने के अधिकार के तहत ये आपका फर्ज है कि आप अपने अधिकारों को जानें और समझें ताकि आप अपनी समझदारी से निर्णय ले पाएं.
ये है निवारण मांगने का अधिकार
इसका मतलब है अनुचित व्यापार प्रथाओं या उपभोक्ताओं के बेईमान शोषण के खिलाफ निवारण मांगने का अधिकार. इसमें उपभोक्ता की वास्तविक शिकायतों के उचित निपटान का अधिकार भी शामिल है. उपभोक्ताओं को अपनी वास्तविक शिकायतों के लिए शिकायत करनी होती है ये उनका अधिकार है. कई बार उनकी शिकायत छोटी होती है, लेकिन इसका समाज पर बहुत बड़ा असर हो सकता है. लेकिन यही आगे जाकर समाज के नासूर बन जाती है.