पूरे देश में सस्ते हो जाएंगे लैपटॉप और टैबलेट, 01 जनवरी से लागू होंगे ये इंपोर्ट नियम

भारत सरकार ने नए साल के लिए लैपटॉप और टैबलेट आयात नीति को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने पूरे साल के लिए आयात की मंजूरी दी है, लेकिन इसके साथ ही साल के मध्य में समीक्षा का विकल्प भी रखा है. आइए जानतें हैं इसके बारे में विस्तार से...

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Rajvant Prajapati
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Laptops and Tablets : भारत सरकार ने नए साल (2025) के लिए लैपटॉप और टैबलेट आयात नीति को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने पूरे साल के लिए आयात की मंजूरी दी है, लेकिन इसके साथ ही साल के मध्य में समीक्षा का विकल्प भी रखा है. यह निर्णय स्थानीय उद्यमों को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता पर काम करने के उद्देश्य से लिया गया है. सरकार के इस नीति से न केवल उद्योग बढ़ेगा, बल्कि आम लोगों पर भी कई तरह के प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. आइए जानतें हैं इसके बारे में विस्तार से...

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ये है सरकार की नई आयात नीति

भारत सरकार ने नए साल (2025) में लैपटॉप और टैबलेट के आयात की मंजूरी पूरे साल के लिए दी गई है. साथ ही इस नीति में मध्य वर्ष समीक्षा की जाएगी, जिससे बाजार में उत्पादों की कमी को रोका जा सके. आयात में हर साल 5% की कटौती की परिकल्पना की गई है, जिसे स्थानीय उत्पादन से पूरा किया जाएगा. यह योजना साल 2025 की दूसरी छमाही से औपचारिक रूप से लागू होने की उम्मीद जताई जा रही है.
 
आम लोगों पर क्या पड़ेगा असर-

प्रोडक्ट की उपलब्धता रहेगी

आयात पर नियंत्रण और स्थानीय उत्पादन में समय लगने की वजह से बाजार में लैपटॉप और टैबलेट की उपलब्धता पर काफी असर पड़ सकता है. इसके अलावा स्थानीय उत्पादन के बढ़ने से उत्पादों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी.

कीमतों में बदलाव

आयात में कमी और स्थानीय उत्पादन के सेटअप के दौरान उपभोक्ताओं को शुरू में ज्यादा कीमतों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं जब स्थानीय उत्पादन तेज होगा, तो कीमतें कम हो सकती हैं.
 
रोजगार के अवसर  मिलेंगे

स्थानीय निर्माण से देश में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे. इससे आम आदमी की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.

सुरक्षा और गुणवत्ता

इस समय 70% लैपटॉप और टैबलेट चीन और हांगकांग से आयात होते हैं. वहीं स्थानीय उत्पादन के कारण उपभोक्ताओं को गुणवत्ता पूर्ण और सुरक्षित उत्पाद मिलेंगे.

ज्यादा मांग होने पर

अगर मांग इन्वेंट्री से अधिक हो जाती है, तो सरकार अतिरिक्त आयात की परमिशन दे सकती है. लेकिन अगर मांग नहीं बढ़ती है, तो उत्पादन लक्ष्य घटाए जा सकते हैं.इससे उत्पाद की आपूर्ति और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी.

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