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घर खरीदना एक बेहद जरूरी फाइनेंशियल डिसीजन है. लिहाजा इस फैसले से पहले आपको कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार करना चाहिए. आज इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि घर खरीदने से पहले किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, ताकि आप अपने फाइनेंशियल अप्रोच से सही फैसला ले सकें.
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपकी सैलरी का केवल 20-25% ही होम लोन की EMI के रूप में जाए. उदाहरण के लिए, यदि आपकी सैलरी 1 लाख रुपये प्रति माह है, तो 25,000 रुपये तक की EMI सही रहेगी. हालांकि, यदि आपकी सैलरी 50-70 हजार रुपये है और EMI 25,000 रुपये है, तो यह आपकी वित्तीय स्थिति पर भारी पड़ सकता है. इसलिए, सैलरी और EMI का अनुपात सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.
अगर आपकी सैलरी 50-70 हजार रुपये के बीच है, तो 25 लाख रुपये तक का घर खरीदना उपयुक्त रहेगा. इससे अधिक कीमत के घर के लिए, अगर आपकी सैलरी 30 लाख रुपये से अधिक है, तो किराये पर रहना बेहतर विकल्प हो सकता है. यह फैसला आपकी सैलरी और वित्तीय स्थिरता पर निर्भर करता है.
घर खरीदने से पहले यह समझना जरूरी है कि क्या आपके लिए वास्तव में घर की जरूरत है या यह केवल एक आवेग है. अगर आप नई नौकरी के चलते शहर बदल सकते हैं या आपके करियर की दिशा बदल सकती है, तो जल्दी में घर खरीदने से बचें. यह भविष्य में आपको किसी भी असुविधा का सामना करवा सकता है.
घर खरीदने के लिए ऐसा स्थान चुनें जहां रेंट अच्छी कीमत पर मिल सके और प्रॉपर्टी की कीमत सालाना 10% बढ़े. यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़े और जब होम लोन की EMI पूरी हो जाए, तब तक प्रॉपर्टी की कीमत में पर्याप्त वृद्धि हो.
EMI का बोझ: पहली नौकरी के साथ घर खरीदने से EMI का बोझ बढ़ सकता है, जो आपकी सेविंग्स और भविष्य की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है. इसलिए, शुरुआती दौर में सेविंग्स की शुरुआत करना महत्वपूर्ण है. इससे आप भविष्य में रिटायरमेंट के समय सुरक्षित महसूस करेंगे और वित्तीय समस्याओं का सामना करने में सक्षम होंगे.