Utility News: बीमार होने पर हम डॉक्टर की ओर से बताई गई दवाएं तुरंत खरीद लेते हैं और यह मान लेते हैं कि वह दवा हमें ठीक कर देगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेडिकल स्टोर से खरीदी गई हर दवा असली हो, इसकी कोई गारंटी नहीं होती? दवा बाजार में नकली दवाओं का बड़ा रैकेट काम कर रहा है, जिससे अनजाने में कई लोग प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि नकली और असली दवा में फर्क कैसे करें.
1. पैकेजिंग की जांच करें
नकली दवाएं अक्सर असली जैसी दिखने की कोशिश करती हैं, लेकिन कुछ चीजों से इन्हें पहचाना जा सकता है. असली दवाओं की पैकिंग उच्च गुणवत्ता की होती है और उस पर ब्रांड का लोगो साफ और स्पष्ट होता है. मैन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट, बैच नंबर और एमआरपी अच्छे से छपी होती है.
वहीं नकली दवाओं की पैकिंग पर प्रिंट अक्सर हल्का या धुंधला होता है. लोगो टेढ़ा-मेढ़ा या गलत डिजाइन का हो सकता है. अगर पैकिंग देखते समय कोई भी गड़बड़ दिखे, जैसे कि जानकारी गायब हो या अस्पष्ट हो, तो सतर्क हो जाइए और उस मेडिकल स्टोर से दवा न खरीदें.
2. होलोग्राम और क्यूआर कोड से करें पुष्टि
इन दिनों कई असली दवाओं में होलोग्राम या क्यूआर कोड दिए जाते हैं, जो उनकी प्रमाणिकता का सबूत होते हैं. क्यूआर कोड को मोबाइल स्कैनर से स्कैन करें. अगर यह असली है, तो तुरंत आपके फोन की स्क्रीन पर उस दवा की पूरी जानकारी आ जाएगी – जैसे कंपनी का नाम, निर्माण तिथि, बैच नंबर, आदि.
अगर स्कैन करने पर कोई जानकारी नहीं आती, या जानकारी गलत दिखती है, तो यह संकेत है कि दवा नकली हो सकती है. कई बार नकली दवाओं पर क्यूआर कोड होता ही नहीं, या वह स्कैन करते समय काम नहीं करता. यह एक मजबूत संकेत होता है कि आप जिस दवा को खरीदने जा रहे हैं, वह भरोसेमंद नहीं है.
3. लाइसेंस और रसीद जरूर मांगें
जब भी आप दवा खरीदें, तो मेडिकल स्टोर से रसीद जरूर लें। इससे यह पता चलता है कि दवा कहां से खरीदी गई थी और जरूरत पड़ने पर शिकायत की जा सकती है. साथ ही आप चाहें तो दुकान का फार्मेसी लाइसेंस नंबर भी देख सकते हैं.
दवाओं से जुड़ी धोखाधड़ी जानलेवा साबित हो सकती है. इसलिए सजग रहना जरूरी है. पैकिंग, क्यूआर कोड और मेडिकल स्टोर की विश्वसनीयता की जांच करके ही दवाएं खरीदें. अगर कोई शंका हो, तो डॉक्टर या फार्मासिस्ट से दोबारा जांच जरूर करवाएं. आपकी सतर्कता ही आपकी सेहत की असली सुरक्षा है.
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