UP में किराएदारों की आई मौज, सरकार ने रेंट एग्रीमेंट नियम में किया अहम बदलाव

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और उपयोगी फैसला लेते हुए किरायेदारी अनुबंधों पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 90 फीसदी की कमी कर दी है. अब तक चार प्रतिशत स्टांप शुल्क की वजह से अधिकांश लोग अपने किरायेदारी समझौते को पंजीकृत कराने से बचते थे.

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और उपयोगी फैसला लेते हुए किरायेदारी अनुबंधों पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 90 फीसदी की कमी कर दी है. अब तक चार प्रतिशत स्टांप शुल्क की वजह से अधिकांश लोग अपने किरायेदारी समझौते को पंजीकृत कराने से बचते थे.

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Dheeraj Sharma
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Rental Agreement Decreased in UP

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और उपयोगी फैसला लेते हुए किरायेदारी अनुबंधों पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 90 फीसदी की कमी कर दी है. अब तक चार प्रतिशत स्टांप शुल्क की वजह से अधिकांश लोग अपने किरायेदारी समझौते को पंजीकृत कराने से बचते थे. लेकिन नए आदेश के बाद किरायेदारी अनुबंधों के पंजीकरण में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद जताई जा रही है.

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भारी शुल्क से डरते थे लोग

पहले किरायेदारी अनुबंध को पंजीकृत कराने पर लोगों को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती थी. उदाहरण के तौर पर, दो लाख रुपये तक के वार्षिक किराये वाले एक साल के अनुबंध को पंजीकृत कराने में करीब 10,000 रुपये खर्च आता था, जिससे अधिकांश किरायेदार और मकान मालिक इससे दूरी बनाए रखते थे.  लेकिन यूपी सरकार के नए निर्देशों के बाद अब यही कार्य मात्र 1,000 रुपये में हो सकेगा.  यानी कुल खर्च में सीधी 90 फीसदी तक की कटौती.

अलग-अलग अवधि वाले अनुबंधों के शुल्क में बड़ी कमी

नई व्यवस्था के तहत अनुबंध की अवधि के अनुसार शुल्क में भारी राहत दी गई है- 

- 5 वर्ष का अनुबंध: पहले 30,000 रुपये लगता था, अब सिर्फ 3,000 रुपये.

- 10 वर्ष का अनुबंध: पहले 40,000 रुपये का खर्च, अब केवल 4,000 रुपये.

वार्षिक किराया यदि 2 से 6 लाख रुपये है या 6 से 10 लाख रुपये, दोनों ही मामलों में शुल्क पुरानी दरों का केवल 10 प्रतिशत तय किया गया है.  यह बदलाव किरायेदारी संबंधी विवादों को कम करने और लोगों को औपचारिक पंजीकरण के लिए प्रेरित करने में प्रभावी साबित होगा.

अब हर महीने 70 नहीं, 1000 अनुबंध होने की उम्मीद

मेरठ और अन्य जिलों के निबंधन अधिकारी इस निर्णय से काफी उत्साहित हैं. उनका कहना है कि अभी तक हर महीने केवल 70–80 किरायेदारी अनुबंध ही पंजीकृत हो पाते थे. लेकिन शुल्क में भारी कमी के बाद यह संख्या बढ़कर एक हजार तक पहुंच सकती है. अधिकारियों का मानना है कि इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि विभाग की आय भी कई गुना बढ़ने की संभावना है.

क्या होंगे इस बदलाव के फायदे?

- हर मकान मालिक और किरायेदार आसानी से अनुबंध पंजीकृत कराएंगे, जिससे विश्वास और पारदर्शिता बढ़ेगी.

- विवादों में कमी आएगी क्योंकि लिखित और पंजीकृत दस्तावेज कानूनी प्रमाण के रूप में काम करेंगे।

- अवैध दलालों और एजेंटों की भूमिका घटेगी.

- निबंधन विभाग की राजस्व आय में वृद्धि होगी. 

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