सड़क हादसे के घायलों का अब फ्री में होगा इलाज; नितिन गडकरी ने बताया क्यों विदेश में उन्हें मुंह छिपाना पड़ता है

सड़क हादसों में घायल हुए लोगों के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है. अब घायलों के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी. घायलों का अब फ्री में इलाज होगा.

सड़क हादसों में घायल हुए लोगों के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है. अब घायलों के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी. घायलों का अब फ्री में इलाज होगा.

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Jalaj Kumar Mishra
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Nitin Gadkari (File)

सड़क हादसों में घायल हुए लोगों का अब फ्री में इलाज होगा. उन्हें इलाज के दौरान, खर्चे की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. वर्तमान में फ्री इलाज की सुविधा केंद्र सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में छह राज्यों में चल रही है. फ्री इलाज की योजना नए साल 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएगी. खुद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी जानकारी दी है.

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लोकसभा में गुरुवार को गडकरी ने कहा कि योजना इसी माह से उत्तर प्रदेश में लागू हो जाएगी. गडकरी ने बताया कि कड़े कानून और तमाम प्रयासों के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है. इसकी मुख्य वजह कानून के प्रति लोगों का कम डर और कानून के प्रति कम सम्मान का भाव है. योजना के तहत दुर्घटना पीड़ित को इलाज के लिए फौरी तौर पर डेढ़ लाख रुपये तक की मदद दी जाती है.  

फ्री इलाज के कारण 2100 लोगों की मौत हो चुकी  

गडकरी ने भाजपा सांसद राजकुमार चाहर के सवाल पर उत्तर देते हुए कहा कि योजना वर्तमान में पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड, पुडुचेरी और असम में चल रही है. यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सफल रही है. अब तक इस योजना की मदद से 2100 लोगों की जान बचाई गई है. दो से तीन महीने के भीतर योजना को पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा. 

हमें मुंह छिपाना पड़ जाता है

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि जब भी मैं अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में जाता हूं और वहां अगर सड़क हादसों पर चर्चा होती है तो मुझे चेहरा छिपाना पड़ जाता है, क्योंकि इस मामले में हमारा रिकॉर्ड बेहद गंदा है. गडकरी ने बताया कि बहुत दुखद है कि सड़क हादसो में जान गंवाने वाले 60 प्रतिशत युवा हैं, जिनकी उम्र 18 से 34 साल है. इस साल अब तक 1.78 लाख लोगों ने सड़क हादसे के कारण जान गंवाई है. पिछले साल डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है. ध्यान देने वाली बात है कि हेलमेट नहीं पहनने के कारण इस साल 30 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई है. 

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