उद्योगपति अजीम प्रेमजी की संघर्ष की कहानी सुन रह जाएंगे हैरान, डॉ विवेक बिंद्रा ने किया खुलासा

Azim Prem ji success : आक्समिक परिवर्तन मत जानों तुम, वर्षों का ये अनुसंधान है, नित कष्टों में जीवन सीचा जिसका ये परिणाम है. जानें-माने उद्योगपति अजीम प्रेम जी के संघर्ष की कहानी को ये लाइन ठीक से चरितार्थ कर रही हैं.

Azim Prem ji success : आक्समिक परिवर्तन मत जानों तुम, वर्षों का ये अनुसंधान है, नित कष्टों में जीवन सीचा जिसका ये परिणाम है. जानें-माने उद्योगपति अजीम प्रेम जी के संघर्ष की कहानी को ये लाइन ठीक से चरितार्थ कर रही हैं.

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Sunder Singh
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Azim Prem ji success : आक्समिक परिवर्तन मत जानों तुम, वर्षों का ये अनुसंधान है, नित कष्टों में जीवन सीचा जिसका ये परिणाम है. जानें-माने उद्योगपति अजीम प्रेम जी के संघर्ष की कहानी को ये लाइन ठीक से चरितार्थ कर  रही हैं. जी हां हाल ही में मोटिवेशनल स्पीकर डॅा. विवेक बिंद्रा ने उनके संघर्ष पर एक वीडियो जारी किया है. जिसमें उन्होने अजीम प्रेम जी के संघर्ष के दिनों को विस्तार से बताया है. वीडियो देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. क्योंकि वैसे ही कोई इतना बड़ा व्यक्तित्व नहीं बन जाता. उसके पीछे की मेहनत उसे बड़ा बनाती है. लेकिन कोई पीछे की ओर देखना ही नहीं चाहता है. आइय़े जानते हैं आखिर क्या है अजीम प्रेम जी के संघर्ष की कहानी?

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अजीम प्रेम जी की उद्योगपति बनने की यात्रा

डॉ बिंद्रा ने अज़ीम प्रेमजी की बिजनेस जर्नी के बारे में बात की और बताया कि कैसे कभी देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन रहे . हालांकि अभी अज़ीम प्रेमजी ने अपना ये नंबर वन रहने का पायदान खो दिया. अज़ीम प्रेमजी को अपने बिज़नेस की शुरुआत शुरू से तो नहीं करनी पड़ी क्योंकि उनके दादाजी ने इस बिजनेस कंपनी की नींव डाली थी. उनके पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी को “राइस किंग ऑफ बर्मा” के नाम से जाना जाता था. उस समय अंग्रेजों का शासन हुआ करता था, उनके कुछ रूल्स की वजह से वो बर्मा से भारत तक राइस ट्रेडिंग नहीं कर पा रहे थे. जिसके बाद उन्होंने भारत आकर अपना नया बिजनेस शुरू किया और अपनी कंपनी Wipro की शुरुआत की. 

कम उम्र में संभालनी पड़ी बिजनेस की कमान 

अज़ीम प्रेमजी की बिजनेस जर्नी एक दुखद मोड़ पर शुरू हुई.  सिर्फ  21 साल की उम्र में जब वो स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई कर रहे थे तब उन्हें अपने पिता की मृत्यु की ख़बर मिली. जिसके बाद सबकुछ छोड़कर उन्हें भारत आना पड़ा. इस दौरान उन्हें पिता के जाने का दुःख और क़र्ज़ में डूबी कंपनी दोनों को एकसाथ संभलना था.  सिर्फ 21 साल की उम्र में जब उन्हें बिजनेस की बागडोर संभालनी थी, तब उनके ही शेयरहोल्डर्स ने ही उनपर सवाल खड़े कर दिए. लेकिन अज़ीम प्रेमजी ने हालात के आगे घुटने नहीं टेके और आगे बढ़ते रहे, उनकी काबिलियत का सबूत आज पूरी दुनिया के सामने है. चावल और तेल के साथ शुरू हुआ ये बिजनेस को उन्होंने आगे बढ़ाया कि आज वो अनेकों क्षेत्र में काम करते हैं. 

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