Delhi Traffic Rule: दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने एक अहम फैसले की घोषणा की है, जिसके तहत बिना कलर कोडेड फ्यूल स्टीकर वाले वाहनों पर अब जुर्माना लगाया जाएगा. यह सख्ती मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण और सड़क सुरक्षा के उपायों को और प्रभावी बनाना है.
क्या है कलर कोडेड फ्यूल स्टीकर?
कलर कोडेड फ्यूल स्टीकर एक प्रकार का थर्ड रजिस्ट्रेशन साइन होता है, जिसे वाहन की विंडशील्ड पर चिपकाना अनिवार्य होता है. यह स्टीकर वाहन के ईंधन प्रकार को दर्शाता है और इसके रंग के माध्यम से अधिकारियों को यह आसानी से पहचानने में मदद मिलती है कि वाहन डीजल, पेट्रोल, सीएनजी या इलेक्ट्रिक से चल रहा है.
किस वाहन के लिए कौन से कलर का स्टिकर
नीला स्टीकर: पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए
नारंगी स्टीकर: डीजल वाहनों के लिए
हरा स्टीकर: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए
2012 में शुरुआत, 2019 से अनिवार्य
दिल्ली में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट्स (HSRP) की शुरुआत 2012 में हुई थी, जिसमें कलर कोडेड स्टीकर भी शामिल था. हालांकि, इसे 2019 से पूरी तरह अनिवार्य कर दिया गया. सभी निजी और व्यावसायिक वाहनों को इस नियम का पालन करना आवश्यक है. इसके बावजूद कई वाहन मालिक अब भी बिना स्टीकर के वाहन चलाते पाए जा रहे हैं.
कानूनी प्रावधान और जुर्माना
परिवहन विभाग द्वारा जारी ताजा निर्देशों में यह साफ कहा गया है कि जो वाहन कलर कोडेड फ्यूल स्टीकर नहीं लगाएंगे, उनके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 192(1) के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसमें पहली बार उल्लंघन पर 500 रुपये और बार-बार उल्लंघन पर 1,000 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है.
क्यों जरूरी है यह स्टीकर?
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान करने के लिए यह स्टीकर एक प्रभावी उपाय है. इसके अलावा, यह ट्रैफिक पुलिस और परिवहन अधिकारियों को जांच के दौरान वाहन की फ्यूल टाइप तेजी से पहचानने में मदद करता है, जिससे वाहन चेकिंग में पारदर्शिता और गति आती है.
वाहन मालिकों को क्या करना चाहिए?
यदि आपका वाहन 2019 से पहले रजिस्टर्ड है और आपने अभी तक HSRP और कलर कोडेड स्टीकर नहीं लगवाया है, तो जल्द से जल्द अपने नजदीकी अधिकृत डीलर या परिवहन कार्यालय से संपर्क करें। आजकल कई राज्य सरकारें ऑनलाइन बुकिंग और होम डिलीवरी की सुविधा भी दे रही हैं.