Bihar Government Scheme: बिहार सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है. अब राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा एक में नामांकन के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। इस फैसले से उन करीब 2.70 लाख बच्चों को लाभ मिलेगा, जो अब तक आधार कार्ड न होने की वजह से स्कूल में दाखिला नहीं ले पा रहे थे. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां जन्म प्रमाणपत्र और आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया जटिल है, वहां यह निर्णय एक बड़ी राहत बनकर आया है.
शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में कदम
राज्य सरकार की यह पहल शिक्षा को हर बच्चे के लिए सुलभ बनाने के उद्देश्य से की गई है। पहले स्कूलों में एडमिशन के लिए बच्चों का आधार कार्ड अनिवार्य था, जिससे कई गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता था. अब नए नियम के अनुसार यदि बच्चे का आधार नहीं है, तो माता या पिता के आधार कार्ड के आधार पर भी नामांकन कराया जा सकता है.
इस निर्णय के साथ ही शिक्षा विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि बच्चों को छात्रवृत्ति, मिड डे मील, पोशाक, कॉपी-किताब और अन्य जरूरी शैक्षणिक योजनाओं का लाभ भी बिना आधार कार्ड के मिलेगा. यह उन परिवारों के लिए बड़ी राहत है, जो दस्तावेजों की कमी के कारण अब तक सरकारी योजनाओं से वंचित थे.
75 फीसदी उपस्थिति की शर्त भी हटी
सरकार ने एक और अहम बदलाव करते हुए छात्रवृत्ति, साइकिल और पोशाक योजनाओं के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति की शर्त को भी खत्म कर दिया है. पहले यह नियम लागू था कि छात्र को इन योजनाओं का लाभ तभी मिलेगा जब उसकी स्कूल में उपस्थिति 75 फीसदी से ज्यादा हो.
इस नियम के कारण कई छात्रों को जरूरी सहायता से वंचित रहना पड़ता था. अब इस बदलाव से राज्य के लगभग 10 लाख छात्रों को सीधा लाभ मिलेगा.
स्कूलों में विशेष नामांकन अभियान
राज्य भर में छह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए एक विशेष नामांकन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का मकसद अधिक से अधिक बच्चों को स्कूलों से जोड़ना है, ताकि हर बच्चा शिक्षा की मुख्यधारा में आ सकें.
स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नए दाखिला लेने वाले बच्चों की जन्म तिथि प्रमाण पत्र बनवाने में भी मदद करें, जिससे आगे चलकर बच्चों का आधार कार्ड भी बन सके.
बच्चों के लिए नया टाइम टेबल
बिहार सरकार ने बच्चों के संपूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए सरकारी स्कूलों में एक नया टाइम टेबल भी लागू किया है. इस नए शैक्षणिक कार्यक्रम में पढ़ाई के साथ-साथ स्नैक्स ब्रेक, खेल-कूद, सांस्कृतिक गतिविधियां और अन्य सह-पाठ्यक्रम गतिविधियां शामिल की गई हैं. इससे बच्चों में न सिर्फ पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ेगी, बल्कि उनका मानसिक और शारीरिक विकास भी सुनिश्चित होगा.