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करोड़ों भारतीयों के लिए बुरी खबर!, मुफ्त सरकारी योजनाओं पर मंडराया बंद होने का खतरा, सुप्रीम कोर्ट ने किया नोटिस जारी

Government schemes closed: देश में दर्जनों मुफ्त योजनाएं चलाई जाती हैं. जिनमें कुछ ही दिनों में बंदरबांट शुरू हो जाती है. अब जब कई राज्यों में चुनावों की घोषणा हो चुकी है. तब मुफ्त योजनाओं को बंद किये जाने की याचिका वास्तव में गंभीर विषय है.

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Sunder Singh
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Government Free schemes closed:  देश में दर्जनों मुफ्त योजनाएं चलाई जाती हैं. जिनमें कुछ ही दिनों में बंदरबांट शुरू हो जाती है. अब जब कई राज्यों में चुनावों की घोषणा हो चुकी है. तब मुफ्त योजनाओं को बंद किये जाने की याचिका वास्तव में गंभीर विषय है. इन योजनाओं से करोड़ों भारतीयों का भला भी होता है.  मुफ्त बिजली, पानी, बस यात्रा, और राशन ये योजनाएं ज्यादा आजकल चर्चा में है. हालांकि, अब यह चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है  कि सुप्रीम कोर्ट कई राज्यों में चल रही मुफ्त योजनाओं पर रोक लगा सकता है...

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नोटिस किया जारी 

आपको बता दें इन दिनों झारखंड, महाराष्ट्र सहित कई अन्य स्टेट में चुनावी बिगुल बज चुका है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह छूट भी दी है कि वह सभी लंबित याचिकाओं पर जल्द सुनवाई का अनुरोध कर सकता है. पिछले कुछ समय से चुनावों में मुफ्त योजनाओं के नाम पर जमकर वोट बटोरने का काम चल रहा है.  मामले को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट सख्त हो चुका है.

चुनावी रेवड़ियों का मामला

आपको बता दे दें कि हाल ही में  सुप्रीम कोर्ट में चुनावी रेवड़ियों (फ्रीबीज) को लेकर एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में मांग की गई है कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह के मुफ्त वादों को रिश्वत के रूप में माना जाए. यही नहीं याचिका में यहां तक कहा गया है कि चुनाव आयोग को इस तरह की योजनाओं पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए.. ताकि राजनीतिक दल चुनावों में मुफ्त वादों के सहारे वोट न बटोर सकें. अब देखते हैं अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाता है... 

सुप्रीम कोर्ट का पूर्व रुख

यह पहली बार नहीं है जब मुफ्त योजनाओं के वादों पर सवाल उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर पहले से ही कई याचिकाएं लंबित हैं। पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना और पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की पीठ पहले ही इस मामले की सुनवाई कर चुकी है। हाल ही में, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अदालत इस मामले को गंभीरता से ले रही है.

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