भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) अब देश भर के स्कूलों के जरिए बच्चों का आधार अपडेट करने की तैयारी में है. यानी अब बच्चों के जो फिंगरप्रिंट्स हैं और आंखों की स्कैनिंग स्कूलों में ही हो जाएगी. इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ एक तकनीकी बदलाव हो रहा है. यह बदलाव करोड़ों बच्चों की पहचान, सरकारी योजनाओं में उनकी भागीदारी, भविष्य की सुविधाओं को लेकर एक बड़ा कदम है. यूआईडीएआई ने प्लान बनाया है कि अगले 45 से 60 दिनों के अंदर एक फेज वाइज कार्यक्रम के तहत देश भर के जो स्कूल हैं जिनमें छोटे बच्चे पहुंचते हैं. उनका जो आधार है वह बायोमेट्रिक अपडेट शुरू किया जाएगा.
देश में करीब 7 करोड़ बच्चों का आधार बायोमेट्रिक अपडेट नहीं
देश में ऐसे करीब 7 करोड़ बच्चे हैं, जिनका आधार कार्ड तो बन गया लेकिन 5 साल की उम्र के बाद उसमें जो बायोमेट्रिक अपडेट होना चाहिए वो नहीं हुआ है और UIDAI इन्हीं बच्चों को सेलेक्ट करेगा और उसके बाद इस तरीके की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा. अब सवाल यह है कि अपडेट क्यों जरूरी होता है? तो अब यह समझिए कि जब बच्चा 5 साल का होता है तो यूआईडीएआई के नियमों के अनुसार उसके जो फिंगरप्रिंट्स होते हैं जो आईएस स्कैन लेना जरूरी हो जाता है. क्योंकि पहले जो आधार कार्ड बना था 5 साल से पहले वो सिर्फ डेमोग्राफिक जानकारी के आधार पर बना था. जैसे नाम हो गया, जन्मतिथि हो गई, माता-पिता का नाम हो गया, एड्रेस हो गया. लेकिन 5 साल का बच्चा जब अपनी उम्र पूरी कर लेता है तो उसके बाद जब उसके फिंगरप्रिंट्स स्थिर हो जाते हैं.
आधार में बायोमेट्रिक जानकारी जोड़ना बहुत जरूरी
आधार में बायोमेट्रिक जानकारी जोड़ना बहुत जरूरी हो जाता है और यही इतना ही नहीं है 15 साल की उम्र पर भी एक और बायोमेट्रिक अपडेट करना जरूरी होता है और अगर यह अपडेट समय पर नहीं होते हैं तो यूआईडीआई उस आधार को इनक्टिव कर देता है. इनक्टिव का मतलब समझते हैं आप बंद कर देना. अब आप यह सोच रहे होंगे कि अगर आधार इनक्टिव हो गया तो क्या फर्क पड़ता है? फर्क पड़ता है और बहुत बड़ा फर्क पड़ता है. इनक्टिव आधार कार्ड का मतलब होता है कि जिस बच्चे का आधार कार्ड इनक्टिव हो गया है उसको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा. जैसे मिड डे मील हो गया, स्कॉलरशिप हो गई, स्कूल एडमिशन हो गया, राशन हो गया, पेंशन हो गई, बैंक खाते हो गए, परीक्षा का फॉर्म हो गया.