8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग का गठन अब केंद्र सरकार के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है. इस बीच देश भर के सरकारी कर्मचारियों और पेंशन भोगियों ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि 1 जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग को लागू कर दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही कर्मचारी महासंघों ने सरकार से कहा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएसएन जो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 9 साल पहले लागू हुई थी और अब समय आ गया है कि वेतन और पेंशन के लिए एक नए आयोग का गठन किया जाए. इससे ना केवल सरकारी कर्मचारियों को राहत मिलेगी बल्कि पेंशन भोगियों को भी बेहतर फायदे मिल सकेंगे.
क्या है पूरा मामला
मोदी सरकार के आठवें वेतन आयोग के गठन पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों में काफी रोष है. अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने इस मुद्दे को लेकर सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील की है. संघ ने नए साल के मौके पर देश भर में विरोध प्रदर्शन का आवाहन किया है. 28-29 दिसंबर को यूपी के कानपुर में होने वाली नेशनल एग्जीक्यूटिव मीटिंग में इस आंदोलन की योजना तैयार की जाएगी. सुभाष लांबा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं जैसे ओल्ड पेंशन स्कीम और कांट्रैक्ट कर्मचारियों के नियमितीकरण पर सरकार से जल्द समाधान की जरूरत है. दरअसल, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू की गई थी और अब 9 साल पूरे हो चुके हैं. कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के लिए इस लंबे अंतराल के बाद एक नए वेतन आयोग की जरूरत महसूस हो रही है.
वित्त मंत्रालय ने साफ किया रुख
इस वेतन आयोग के गठन से कर्मचारियों की वेतन वृद्धि पेंशन सुधार और अन्य भत्तों में सुधार संभव होगा. इसके साथ ही पेंशन और वेतन संशोधन की तारीख 1 जनवरी 2026 तय की गई है. ऐसे में आठवें वेतन आयोग का गठन समय पर नहीं होता है तो वेतन भोगी कर्मचारियों को भारी नुकसान हो सकता है. कर्मचारी संघ ने 3 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर तत्काल नए वेतन आयोग के गठन का अनुरोध किया. पत्र में कहा गया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू हुए लगभग 9 साल हो चुके हैं और अब समय आ गया है कि कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान दिया जाए. हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि फिलहाल आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर कोई योजना नहीं है.